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उद्धव गुट ने पार्टी के नाम-निशान की लिस्ट दी:नाम में ‘शिवसेना बालासाहेब ठाकरे’ पहली पसंद, निशान में त्रिशूल और उगता सूर्य

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acn18.com मुंबई/मुंबई के अंधेरी ईस्ट में होने वाले उप-चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के नाम और निशान की लिस्ट इलेक्शन कमीशन (EC) को सौंपी है। उद्धव गुट ने यह कदम तब उठाया, जब EC ने शिंदे गुट की याचिका पर शिवसेना के सिंबल तीर-कमान को फ्रीज कर दिया।

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EC के फैसले के बाद शिंदे और उद्धव गुट इस निशान का इस्तेमाल चुनाव में नहीं कर पाएंगे। कुछ रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से रविवार को दावा किया गया है कि उद्धव गुट ने दो नाम EC को बताए हैं। पहला- शिवसेना बाला साहेब ठाकरे और दूसरा- शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे। निशानों में उद्धव गुट ने अपनी पहली पसंद त्रिशूल बताई है, दूसरा निशान उगता हुआ सूर्य है।

थोड़ी ही देर में मातोश्री में उद्धव गुट के नेताओं की बैठक शुरू होने वाली है, जिसमें चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार पार्टी का नया नाम और सिंबल पर चर्चा होगी।

पवार बोले- शिवसेना खत्म नहीं होगी, सिंबल से फर्क नहीं पड़ेगा
इधर, औरंगाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए शरद पवार ने कहा- चुनाव आयोग का फैसला चौंकाने वाला नहीं है। मुझे इसकी आशंका थी। आयोग के फैसले से शिवसेना खत्म नहीं होगी बल्कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं में नया जोश आएगा। उन्होंने कहा- पांच बार मेरी पार्टी का भी सिंबल बदला गया, लेकिन असर नहीं हुआ।

ठाकरे परिवार के लिए लकी रहा है तीर-कमान का चिन्ह

महाराष्ट्र की सत्ता में 1995 में पहली बार शिवसेना सरकार में आई। उस वक्त मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बनाए गए थे।
महाराष्ट्र की सत्ता में 1995 में पहली बार शिवसेना सरकार में आई। उस वक्त मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बनाए गए थे।

19 जून 1966 में बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी, लेकिन शुरुआत में ये सिर्फ एक सोशल ऑर्गेनाइजेशन के रूप में काम कर रही थी। 1968 में पहली बार पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन के रूप में शिवसेना का रजिस्ट्रेशन कराया गया। पहला चुनाव पार्टी ने 1971 में लड़ा, उस वक्त सिंबल था- खजूर का पेड़।​​​​​​​

शिवसेना ने इसके बाद रेलवे इंजन और ढाल-तलवार भी पार्टी का सिंबल रहा, मगर सफलता नहीं मिली। 1985 में सीनियर ठाकरे ने तीर-कमान का सिंबल लिया और मुंबई नगरपालिका का चुनाव लड़ा। पार्टी को इसमें भारी मार्जिन से जीत मिली और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बना ली।

शिवसेना विवाद में पिछले 2 दिन का घटनाक्रम जानिए…

1. उद्धव गुट के नेताओं के पास से फर्जी एफिडेटिव मिला, FIR दर्ज- शिवसेना के सिंबल फ्रीज होने के बाद रविवार को शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे खेमे के खिलाफ फर्जी तरीके से एफिडेविट बनाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई पुलिस के निर्मलनगर थाने में इसकी FIR भी दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच में अब तक 4682 झूठे एफिडेविट जब्त किए हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ये सभी एफिडेविट चुनाव आयोग में जमा कराने की तैयारी थी।

2. शिवसेना का सिंबल फ्रीज, 4 घंटे की मीटिंग के बाद EC का फैसला- उद्धव-शिंदे गुट के बीच लड़ाई में शनिवार को चुनाव आयोग ने शिवसेना का सिंबल तीर-धनुष को फ्रीज कर दिया। 13 पन्नों के जारी आदेश में आयोग ने कहा कि दोनों गुटों में से कोई भी उपचुनाव में चुनाव चिन्ह तीर-धनुष का उपयोग नहीं कर सकेगा। यह आदेश मुंबई की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए है।

चुनाव आयोग ने शिवसेना विवाद में 13 पन्नों का एक आदेश 9 अक्टूबर को जारी किया था। सबसे अंतिम पेज पर शिवसेना के सिंबल फ्रीज करने की बात कही गई थी।
चुनाव आयोग ने शिवसेना विवाद में 13 पन्नों का एक आदेश 9 अक्टूबर को जारी किया था। सबसे अंतिम पेज पर शिवसेना के सिंबल फ्रीज करने की बात कही गई थी।

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि दोनों अपने लिए नए नाम का चुनाव कर सकते हैं और ये नाम शिवसेना से मिलता-जुलता हो सकता है। उपचुनावों में दोनों गुट अपने लिए चुनाव आयोग की दी गई लिस्ट में से कोई चिह्न चुन सकते हैं। उन्हें 10 अक्टूबर तक उनमें से एक चिन्ह चुनकर आयोग को बताना होगा।

शिंदे गुट ने किया है पार्टी पर दावा
ठाकरे से बगावत कर भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने धनुष-बाण पर दावा किया था। वहीं, ठाकरे की ओर से कहा गया था कि शिंदे पार्टी छोड़ चुके हैं, इसिलए उनका पार्टी या उसके चुनाव चिह्न पर कोई दावा नहीं बनता। हाल ही में आयोग ने ठाकरे और शिंदे से शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर अधिकार के दावे को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा था। ठाकरे ने शुक्रवार को चुनाव आयोग में अपना जवाब दाखिल किया। उद्धव गुट ने 5 लाख से ज्यादा पार्टी पदाधिकारियों और सदस्यों के समर्थन वाला हलफनामा भी दाखिल किया है।

20 जून से शुरू हुआ था शिवसेना का विवाद
शिवसेना का विवाद 20 जून से शुरू हुआ था, जब शिंदे के नेतृत्व में 20 विधायक सूरत होते हुए गुवाहाटी चले गए थे। इसके बाद शिंदे गुट ने शिवसेना के 55 में से 39 विधायक के साथ होने का दावा किया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था।

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