acn18.com नई दिल्ली/ दशहरे पर आज देशभर में बुराई के प्रतीक रावण के पुतलों का दहन किया गया। कई जगहों पर बारिश के चलते पुलते गल गए या टेढे हो गए। हरियाणा के यमुनानगर में रावण का पुतला लोगों पर गिर गया। यहां के मॉडल टाउन के दशहरा ग्राउंड में जब रावण के पुलते में आग लगाई गई, तो ज्यादा ऊंचाई होने के चलते पुतले का ढांचा टेढ़ा होने लगा।
पुतले की लकड़ियों को शुभ मानकर उन्हें घर ले जाने के मकसद से लोग पुतले की तरफ बढ़े तो पुतला लोगों पर ही गिर पड़ा। पुतले की लकड़ियों से वहां मौजूद लोगों को हल्की खरोंचे आई हैं। हालांकि पुलिस का कहना है कि इस हादसे में किसी को काई नुकसान नहीं पहुंचा है।
कई जगह बारिश के चलते गल गए पुतले
UP, बिहार सहित कुछ राज्यों में बारिश के चलते दशहरा आयोजनों में बाधा आई। कहीं-कहीं रावण के पुतले गल गए या टेढ़े हो गए। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, अयोध्या, मथुरा और मुजफ्फरनगर में धूमधाम से दशहरा मनाया गया। वाराणसी में 75 तो अयोध्या में 22 फिट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। मथुरा में ठाकुर राजाधिराज द्वारकाधीश ने घोड़े पर बैठकर रावण का वध किया। रावण के पुतले का दहन होते ही जय श्रीराम के नारे लगे। वहीं, बारिश और तेज हवा की वजह से कई जगहों पर रावण के पुतले ढह गए हैं। मथुरा सदर बाजार और मुजफ्फरनगर में रावण का पुतला हवा से गिर गया।
पटना में दहन से पहले गिर गया रावण का पुतला
देखें देशभर में रावण दहन की तस्वीरें…
दिल्ली: दिल्ली के रामलीला मैदान पर रावण के पुतले का दहन किया गया। इस मौके पर दिल्ली के राम लीला मैदान में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दशहरा समारोह में शामिल हुए।
पंजाब: अमृतसर में भी दुर्गियाना मंदिर परिसर में रावण दहन
उत्तराखंड: देहरादून के परेड ग्राउंड में रावण दहन किया गया
असम: गुवाहाटी में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा दशहरा के अवसर पर रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए।
झारखंड: रांची के मोहराबाड़ी ग्राउंड पर सीएम हेमंत सोरेन रावण पुतला दहन कार्यक्रम में शामिल हुए।
कुल्लू दशहरा: देवी-देवताओं की झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र
कुल्लू का दशहरा 372 साल से भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाया जा रहा है। दशहरा उत्सव समिति की ओर से हर साल की तरह इस बार भी देवी देवताओं को निमंत्रण पत्र भेजे गए। कुल्लू के साथ खराहल, ऊझी घाटी, बंजार, सैंज, रूपी वैली के सैकड़ों देवी-देवता दशहरा की झांकियां यहां शोभा बढ़ाने के लिए पहुंचीं। दिलचस्प यह है कि बाह्य सराज आनी-निरमंड के देवी देवता 200 किलोमीटर का लंबा सफर कर दशहरा में पहुंचें। ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में आयोजन हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार दोपहर बाद इंटरनेशनल कुल्लू दशहरा देखने कुल्लू पहुंचे। उन्होंने यहां भगवान रघुनाथजी की रथयात्रा देखी और उनके दर्शन किए। अटल सदन के प्रांगण से मोदी ने देवी-देवताओं का आशीर्वाद लिया। इस दौरान पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर रघुनाथ जी के रथ तक पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। मोदी कुल्लू दशहरा उत्सव में शामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। कुल्लू में 47 मिनट रुकने के बाद मोदी दिल्ली लौट गए।
हिमाचल प्रदेश: प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दशहरे के अवसर पर शिमला में जाखू मंदिर क्षेत्र में रावण के पुतले को जलाया।
छत्तीसगढ़: 622 साल पहले महाराजा पुरषोत्तम ने शुरू की थी परम्परा बस्तर दशहरा की परंपरा
बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा की परम्परा 622 साल से जारी है। बस्तर के इतिहासकारों के मुताबिक 1400 ईसवीं में राजा पुरषोत्तम देव ने इस परम्परा की शुरुआत की थी। बस्तर के महाराजा पुरषोत्तम ने जगन्नाथ पूरी जाकर रथपति की उपाधि प्राप्त की थी। बस्तर में नवरात्रि के दूसरे दिन से सप्तमी तक माईं जी की सवारी (डोली छत्र ) को परिक्रमा लगवाने वाले इस रथ को फूल रथ के नाम से जाना जाता है। दंतेश्वरी माईं के मंदिर से माईंजी के छत्र और डोली को रथ तक लाया जाता है। इसके बाद बस्तर पुलिस के जवानों द्वारा बंदूक से सलामी देकर इस रथ की परिक्रमा का आगाज किया जाता है।
कर्नाटक: मैसूर के 600 साल पुराने दशहरे में न राम होते हैं, न रावण दहन
कर्नाटक के मैसूरु में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई दशहरा समारोह में शामिल हुए।
मैसूरु का दशहरा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ कला, संस्कृति और आनंद का अद्भुत संयोग है। 600 साल पुराने मैसूर के दशहरा को देखने के लिए भारत ही नहीं विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं। यह अन्य दशहरों से अलग है, क्योंकि यहां न राम होते हैं और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है, बल्कि देवी चामुंडा के राक्षस महिसासुर का वध करने पर धूमधाम से दशहरा मनाया जाता है।
दशहरा के दौरान यहां हर साल करीब 6 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं। मैसूर में दशहरा का उत्सव 10 दिन तक चलता है। दशहरे पर मैसूर के राजमहल में खास लाइटिंग होती है। सोने-चांदी से सजे हाथियों का काफिला 21 तोपों की सलामी के बाद मैसूर राजमहल से निकलता है। इसकी अगुआई करने वाले हाथी की पीठ पर 750 किलो शुद्ध सोने का अम्बारी (सिंहासन) होता है, जिसमें माता चामुंडेश्वरी की मूर्ति रखी होती है।