acn18.com / सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अबॉर्शन पर बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि सभी महिलाएं सेफ और लीगल अबॉर्शन की हकदार हैं। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है। अदालत ने एक अहम फैसले में कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकते हैं।
अविवाहित महिलाओं को भी 20-24 हफ्ते के गर्भ को अबार्ट कराने की अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है।
वैवाहिक स्थिति के आधार पर अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक है। अदालत ने यह भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप का मतलब मैरिटल रेप समेत होना चाहिए।
अदालत ने आगे कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेद एक स्टीरियोटाइप को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन गतिविधियों में लिप्त होती हैं। किसी महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर उससे अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता।
सिंगल और अविवाहित महिलाओं को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत अबॉर्शन का अधिकार है।
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