कवर्धा से संजु गुप्ता की रिपोर्ट : प्रदेश के अन्य जिलों की तरह कवर्धा जिले में भी सिटी बस की सुविधा बहाल नहीं हो सकी है। कोरोना काल के बाद से ही बसों का परिचालन बंद कर दिया गया है जिससे करोड़ों की बसे कंडम हो चुकी है। देखरेख के अभाव में अधिकतर बसों के कलपुर्जे गायब हो गए हैं जिससे आज जनता को सस्ता साधन मुहैया कराने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है।
सरकारी पैसों का बंदरबांट कैसे होता है इसका उदाहरण देखना हो,तो कवर्धा जिले में आसानी से देखा जा सकता है। जहाँ राज्य सरकार द्वारा आम लोगो को सहूलियत देने के लिए 4 करोड़ 80 लाख की लागत से 10 सिटी बसों की खरीदी की गई, लेकिन आज ये बसे कबाड़ में तब्दील हो चुकी है। सभी बस शहर से बाहर ग्राम घुघरी के अटल आवास में धूल खाती पड़ी है। हालात ये है कि ज्यादातर बसों के पहिये, इंजन, बैटरी गायब है। यही नही शीशे टूट चुके है व सीट भी खराब हो चुका है। मामला सामने आने के बाद नगर पालिका द्वारा राज्य सरकार को फिर से बसों का मरम्मत कर संचालन के लिए राशि की मांग की जा रही है।
तत्कालीन विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण करोड़ो रुपये पानी की तरह बहाया गया, पर आज इसका लाभ किसी को नही मिला। दरअसल वर्ष 2015 में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा कवर्धा में बसों के संचालन के लिए राजनांदगांव के एक निजी फर्म के साथ समझौता किया लेकिन राजनांदगांव के फर्म ने कवर्धा के प्राइवेट फर्म को बसों का संचालन की जिम्मेदारी दे दी। कुछ साल तक कवर्धा शहर से लेकर बोड़ला, लोहारा, पंडरिया, भोरमदेव व सरोधा सहित अलग अलग मार्गो में बसों का संचालन हुआ। लेकिन कोरोना के बाद संचालकों ने घाटा होने की बात कहते हुए बसों का संचालन बन्द कर दिया गया।
आज ये बसें लगभग 3 साल से कबाड़ की तरह ग्राम घुघरी में पड़े हुए है। अगर इन बसों का मरम्मत किया जाता है तो 50 लाख से अधिक राशि खर्च करना पड़ेगा। फिलहाल एक बार फिर से राज्य सरकार से राशि लेकर बसों की मरमरत करने व संचालन का दावा किया जा रहा है जिसके पूर्ण होने का इंतजार सभी को है।