ज्योतिर्मठ, द्वारका और शारदापीठ के शंकराचार्य, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को सैकड़ों हिंदू संतों द्वारा पारंपरिक अनुष्ठानों, मंत्रों के जाप और श्लोकों के पाठ के साथ उन्हें अंति विदाई (समाधि) दी गई. शंकराचार्य जी ने रविवार दोपहर मध्य प्रदेश में अपने आश्रम में अंतिम सांस ली थी.
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शंकराचार्य जी के पार्थिव शरीर को एक रथ पर रखा गया था और झोटेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम से पहाड़ी के पास स्थित एक आश्रम में ले जाया गया. जहां उनके नश्वर अवशेषों को नरसिंहपुर जिले में ‘समाधि’ में रखा गया. शंकराचार्य को समाधि दिए जाने से पहले उनकी पार्थिव देह केा दूध से स्नान कराया गया, 108 कलश से जलाभिषेक हुआ और चंदन के लेप के बाद उनकी अंतिम यात्रा निकली. उन्हें पालकी में समाधि स्थल तक ले जाया गया, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ समाधि दी गई. इस दौरान उनके हजारों शिष्यों और स्थानीय लोगों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी.
अंतिम संस्कार से पहले स्वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकारियों की भी घोषणा की गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिर्मठ पीठ बद्रीनाथ का मुखिया बनाया गया है और स्वामी सदानंद को शारदा पीठ द्वारका का प्रमुख बनाया गया है. दोनों के नामों की घोषणा शंकराचार्य के पार्थिव शरीर के सामने की गई. शंकराचार्य के निजी सचिव सुबोधानंद महाराज ने उत्तराधिकारियों के नामों की घोषणा की.
कमलनाथ ने की राजकीय शोक घोषित करने की मांग
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल समेत कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. बाद में कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने शंकराचार्य के निधन के बाद राजकीय शोक घोषित नहीं किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से राजकीय शोक घोषित करने का आग्रह किया. कमलनाथ ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूरे हिंदू समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए पूज्य शंकराचार्य जी के निधन पर राजकीय शोक घोषित करने का आग्रह करता हूं.