छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद दूसरे बड़े बिजलीघर की स्थापना कोरबा पश्चिम में करने की योजना है। सरकार ने इसके लिए मंजूरी दी है। खास बात यह है कि इसकी स्थापना के लिए बहुत ज्यादा औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बिजली घर की स्थापना की स्वीकृति को लेकर अभियंता संघ ने सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रस्तावित बिजली संयंत्र में 660 मेगा वाट की दो इकाइयां शामिल होंगी और इस तरह इसकी कुल उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट की होगी। ऐसा पहली बार होने जा रहा है जबकि बिजली घर की स्थापना के लिए नए सिरे से जमीन का आयोजन नहीं किया जाएगा। ऐसे में बहुत सारी सरकारी औपचारिकताओं से गुजरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कोरबा वेस्ट पावर प्लांट की खाली जमीन पर इस परियोजना कोई स्थापित करने की तैयारी है। सरकार के इस निर्णय को लेकर छत्तीसगढ़ अभियंता संघ ने सीनियर क्लब में बैठक करने के साथ धन्यवाद ज्ञापित किया । सदस्यों के द्वारा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का स्वागत किया गया । अभियंता संघ का मानना है कि इस परियोजना के यहां आने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
कोरबा में कोयला और पानी की उपलब्धता को देखते हुए सबसे पहला बिजली घर मध्यप्रदेश के समय वर्ष 1957 में कैलाश नाथ काटजू की सरकार के दौरान स्थापित किया गया था। हंड्रेड मेगा व्हाट के नाम से इसकी पहचान बनी हुई थी जो अपने कुल जीवन काल के बाद तकनीकी कारणों से बंद कर दिया गया । जबकि दूसरा बिजली घर साठ के दशक में सोवियत रूस और मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से कोरबा ईस्ट में ही स्थापित किया गया था। इसके बाद 80 के दशक में 840 मेगावाट क्षमता का बिजली घर कोरबा पश्चिम क्षेत्र में लगाया गया जो अभी भी कार्यशील है।