दुनिया के अजूबों में शामिल पिरामिड और ममी का राज बताने वाले रोसेटा स्टोन को मिस्र ने वापस मांगा है। लगभग 2200 साल पुराने रोसेटा स्टोन को 222 साल पहले अंग्रेज इंग्लैंड ले गए थे। ब्रिटिश म्यूजियम में प्रदर्शित रोसेटा स्टोन दर्शकों द्वारा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला आर्टिफेक्ट है।
लगभग 760 किलोग्राम वजन वाले ‘रोसेटा स्टोन’ की वजह से ही आज दुनिया मिस्र की हियरोगिल्फिक भाषा को समझ पाई है। इस पर तीन अलग-अलग भाषाओं में एक ही संदेश लिखा है, जिसमें से एक हियरोगिल्फिक भाषा भी है। ये भाषा प्राचीन मिस्र के पुजारियों के द्वारा इस्तेमाल होती थी और इसमें उनके अधिकतर धार्मिक ग्रंथ लिखे गए हैं।
1799 में खोजा गया था
‘रोसेटा स्टोन’ मिलने की वजह से 1400 साल पहले लुप्त हो चुकी हियरोगिल्फिक भाषा का अनुवाद संभव हो पाया। इस पत्थर को नेपोलियन की सेना ने सबसे पहले 1799 में मिस्र के अल-राशिद शहर में खोजा था। इसे अंग्रेज रोसेटा टाउन कहते थे, जिसके नाम से आज इस पत्थर को जाना जाता है। मिस्र के पुरातत्व मंत्री रहे जाही हवास अगले माह ब्रिटिश म्यूजिम को रोसेटा स्टोन वापसी की याचिका देंगे।
पत्थर पर लिखा है नए राजा के राज्याभिषेक का शाही आदेश
रोसेटा स्टोन पर तीन अलग-अलग भाषाओं में ईसा से 196 वर्ष पूर्व का एक शाही आदेश लिखा हुआ है, जिसमें एक नए राजा के राज्याभिषेक का जिक्र है। भाषाविदों ने इसके आधार पर मिस्र के फराओ राजाओं की भाषा को दुनिया को बताया था।