कोरबा . रेलवे क्रॉसिंग पर माल गाड़ियों के अटकने की समस्या ने कोरबा जिले के लोगों को परेशान कर रखा है। बाल्को नगर के चेक पोस्ट रेलवे क्रॉसिंग पर बालकों की मालगाड़ी के कई घंटे तक अटकने से स्कूली बच्चों के साथ-साथ आम लोगों को जमकर परेशान होना पड़ा। इस दौरान लोगों ने बाल्को पर भारी खीझ निकाली।
किसी भी रास्ते बंद होने वाली समस्या से सबसे ज्यादा परेशान कुल मिलाकर नागरिक वर्ग हुआ करता है। सबसे अधिक दिक्कत तब होती हैं जब मझधार में फंसने के बाद लोगों के सामने आगे बढ़ने या पीछे हटने का विकल्प ही ना हो। बालको नगर मैं चेक पोस्ट रेलवे क्रॉसिंग पर एक मालगाड़ी के फस जाने के कारण लोग आज काफी परेशान हुए। बताया गया कि मालगाड़ी के आने की सूचना मिलने के बहुत देर पहले ही चेक पोस्टक्रॉसिंग का गेट बंद कर दिया गया था। ऐसे में स्वाभाविक रूप से दोनों दिशा से आने वाले वाहनों की लाइन सड़क पर लग गई थी। इनमे बालको कर्मचारी से लेकर विद्यालयों के छात्र, शिक्षक, व्यापारी और आम लोग शामिल थे। यह सभी इंतजार कर रहे थे कि कब यहां से मालगाड़ी पार हो और वे अपने गंतव्य को पहुंचे। इनके सामने मालगाड़ी जरूर आई लेकिन वह रेलवे क्रॉसिंग को पार करने के बजाए बीच में ही फस गई। अंदाज़ ऐसा रहा कि हाथी तो निकल गया लेकिन पूछ अटक गई। लोग इस प्रतीक्षा में है कि जल्द ही मालगाड़ी को किसी तरह यहां से आगे खींचने का काम उसका इंजन कर लेगा लेकिन यह संभव नहीं हुआ। ऐसा करते करते 2 से 3 घंटे का समय बीत गया। समय पड़ने के साथ लोगों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने इस फिजूल की समस्या के लिए बालको प्रबंधन की जमकर मजम्मत की। लोगों का कहना था कि उत्पादन और दूसरी गतिविधियों के लिए बालकों के पास भारी-भरकम पैसा है। वह लगातार नई अधोसंरचना खड़ी कर रहा है। दूसरी ओर उत्पादन जैसे कार्यों के लिए कच्चा माल लाने और तैयार हुआ सामान आगे भेजने के काम से जुड़े परिवहन तंत्र की गड़बड़ी को ठीक करने पर उसका ध्यान बिल्कुल नहीं है। byt
नागरिकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा आखिर आम जनता क्यों भोगे। इस तरह के मस्लो को जानने के साथ उन्हें हल करने के बारे में प्रबंधन को गंभीरता दिखानी होगी वरना आगे विस्फोटक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
इससे पहले भी यहां वहां राख डंप करने से होने वाली परेशानी को लेकर लोगों की नाराजगी सामने आ चुकी है। इस विषय पर प्रशासन की ओर से बालकों को ताकीद भी की गई है इन सबके बावजूद गड़बड़ियां ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही है। देखना होगा कि बालकों की मालगाड़ी के एक ही स्थान पर घंटों अटकने और लोगों के खुलकर विरोध करने का कितना असर बालको पर पड़ता है।