acn18.com बिलासपुर। जिले में मध्याह्न भोजन के बाद 22 बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल, बच्चे स्कूल से जब अपने-अपने घर पहुंचे, तब उन्हें उल्टी-दस्त होने लगी। इससे घबराए परिजनों ने पहले तो बच्चों को घरेलू इलाज दिया, लेकिन हालत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने इसकी जानकारी मितानिन और सरपंच को दी।
मितानिन ने भी बीमार बच्चों को दवाईयां दीं, लेकिन बच्चों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद बच्चों के परिजन रविवार को इन्हें नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां उनका इलाज किया जा रहा है। घटना कोटा ब्लॉक के सोनसाय नवागांव की है। इधर, स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव भी पहुंची हुई है।
कोटा और रतनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा बच्चों का इलाज।
22 बच्चों की बिगड़ी तबीयत, डायरिया का कर रहे थे इलाज
रविवार की सुबह गांव के 22 बच्चों की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। उन्हें लगातार, उल्टी दस्त हो रही थी। लिहाजा, इस घटना की जानकारी खोंगसरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. मिथिलेश भारद्वाज को दी गई। इस बीच कुछ बच्चों को लेकर परिजन अस्पताल पहुंच गए थे।
जानकारी मिलते ही कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी टीम भेजी गई है। गांव से बच्चों को तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोंगसरा लाया गया। यहां गंभीर बच्चों को इलाज के लिए कोटा और रतनपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।
बच्चों को हुई फूड पॉइजनिंग
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डायरिया की आशंका को लेकर गांव में जांच की, तो पता चला कि बीमार होने वाले सभी स्कूली बच्चे हैं। गांव में कोई भी बड़ा बीमार नहीं है। पूछताछ में यह भी पता चला कि सभी बच्चे शनिवार को स्कूल गए थे, जहां उन्हें मिड डे मील दिया गया था। भोजन करने और स्कूल की छुट्टी होने पर बच्चे घर पहुंचे, तब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीमार बच्चों को डायरिया नहीं, बल्कि फूड पॉइजनिंग होने की आशंका है।
उल्टी-दस्त से परेशान बच्चों के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग को दी जानकारी।
गांव में लगा शिविर, ग्रामीणों को किया गया अलर्ट
ग्राम सोनसाय नवागांव पहुंचे स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एहतियातन बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती करा दिया है। वहीं, ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं। आज सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम फिर से गांव में जाएगी।
इस दौरान शिविर लगाकर गांव के लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी, ताकि और भी कोई बीमार हो तो उनका इलाज किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को अलर्ट किया है कि पानी उबालकर पीना चाहिए। इससे पानी के हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं।
पानी के सैंपल लेने का काम शुरू
गांव में डायरिया फैला है कि बच्चे विषाक्त भोजन खाकर बीमार हुए हैं, इसकी पुष्टि फिलहाल नहीं हो पाई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। शाम को ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) की टीम गांव पहुंच गई और गांव के अलग-अलग क्षेत्रों से पानी का सैंपल लिया गया है। वहीं शाम से ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी घर-घर दस्तक देकर मरीजों की तलाश शुरू कर दी है।
पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया भर्ती।
मध्याह्न भोजन की होगी जांच
कोटा BMO डॉ. निखिलेश गुप्ता ने बताया कि बच्चों को उल्टी, दस्त हो रही है। लक्षण डायरिया के नजर आ रहे हैं। यही लक्षण विषाक्त भोजन करने से भी होता है। ऐसे में सोमवार को संबंधित स्कूल के मिड डे मील और खाद्य सामग्रियों की जांच भी की जाएगी।
फूड पॉइजनिंग या डायरिया, प्रशासन को पता नहीं
गांव में बच्चों को बीमार हुए दो दिन हो गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि बच्चों को फूड पॉइजनिंग है या डायरिया। ब्लॉक मेडिकल अधिकारी डॉ निखिलेश गुप्ता का कहना है कि पीएचई विभाग के पानी जांचने के बाद ही इस बात की पुष्टि होगी कि गंदा पानी पीने या बासी खाना खाने से बच्चे बीमार हुए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों को सर्दी-खांसी भी हुई थी और कुछ को उल्टी-दस्त। जिसके बाद उनका इलाज शुरू किया गया है।
बच्चों का इलाज शुरू, स्थिति कंट्रोल में
सीएमएचओ डॉ अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि हमें जैसे ही गांव में डायरिया फैलने की सूचना मिली, तत्काल जांच और इलाज की व्यवस्था कराई गई है। इलाज प्राथमिकता है, इसलिए सबसे पहले इसे कर रहे हैं। इसके बाद घटना की जवाबदेही तय करेंगे। अगर कोई भी लापरवाही सामने आती है, तो संबंधित के खिलाफ जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया बढ़ेगी।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में भी 24 छात्र-छात्राएं हुईं बीमार
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के डोंगरिया में आदिवासी विकास विभाग की ओर से संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय के 24 छात्र-छात्राएं शनिवार को बीमार हो गए थे।एक साथ इतने बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर भी स्कूल प्रबंधन ने उन्हें एक ANM के भरोसे जिला अस्पताल भेज दिया। वहां भी बच्चे इलाज के इंतजार में भूखे-प्यासे करीब 9 घंटे तक बैठे रहे। इसके बाद उन्हें भर्ती किया गया। खास बात यह है कि इसका पता न तो विद्यालय के प्रिंसिपल को चला और न ही अधीक्षक को।
हॉस्टल अधीक्षक और प्रिंसिपल पर होगी कार्रवाई
सूचना मिलने पर आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त और तहसीलदार भी पहुंच गए। तहसीलदार ने ड्यूटी रजिस्टर चेक किया तो कई डॉक्टर नदारद मिले। सहायक आयुक्त ललित शुक्ला ने इसे हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही माना। कहा कि एक ANM के भरोसे 24 बच्चों को एक साथ भेज दिया गया, न तो हॉस्टल अधीक्षक उनके साथ हैं, ना ही स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने हॉस्टल अधीक्षक और प्रिंसिपल के खिलाफ विभागीय जांच और कार्रवाई की बात कही है।