ACN18.COM लखनऊ/ देवशयनी एकादशी रविवार को श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। इसी के साथ चातुर्मास का शुभारंभ होगा। जो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर को समाप्त होगी। इस दौरान विवाह, सगाई, जनेऊ, मुंडन आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। लेकिन पूजा पाठ में कोई रोक नहीं होती है। संत महात्मा चार्तुमास में एक ही जगह रुककर भगवान का भजन करते हैं। एकादशी तिथि शनिवार शाम 4:39 से शुरू हुई और रविवार को दिन में 2:13 पर समाप्त होगी।
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि चतुर्मास को व्रतों का माह भी कहा जाता है। इस दौरान सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। सृष्टि संचालन का उनका प्रभार भगवान भोलेनाथ के पास रहता है। चातुर्मास का पहला मास श्रावण होता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। दूसरा मास भाद्रपद का होता है। गणेश चतुर्थी और कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इसी माह में मनाया जाता है। तीसरा मास अश्विन होता है। जिसमें नवरात्र और दशहरा का पर्व मनाया जाता है। चौथा महीना कार्तिक का होता है। इस माह में दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इन चार माह में तपस्वी भ्रमण नहीं करते हैं एक ही स्थान पर तपस्या करते हैं। चतुर्मास में पाचन शक्ति कमजोर होती है। सवान में हरी पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध व कार्तिक माह में दालों का सेवन करने से बचना चाहिए।
पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु भगवान को कराएं शयन
देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराकर धूप-दीप जलाकर पूजन करें। इसके बाद शय्या पर बिस्तर और पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु को शयन कराएं। देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अब 24 नवंबर से बजेगी शहनाई
10 जुलाई देवशयनी एकादशी से 4 नवंबर देवोत्थान एकादशी तक विवाह कार्य नहीं होंगे। इसके बाद 2 अक्तूबर से 56 दिन के लिए शुक्र अस्त होंगे जो कि 20 नवंबर को उदय होंगे। इसके बाद 24 नवंबर से विवाह मुहूर्त शुरू होगा। वहीं 16 दिसम्बर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से खरमास लगेगा। इसके बाद मकर संक्राति के बाद विवाह शुरू होंगे।
वर्ष 2022 विवाह मुहूर्त
नवंबर : 24, 25, 26, 27, 28
दिसंबर : 2, 3, 4, 7, 8, 9, 13, 14, 15, 16