ACN18.COM नई दिल्ली / आप लोग अपने आसपास या फिर घरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हुए बहुतों को देखा होगा लेकिन, शायद ही किसी को देश की संविधान की पूजा करते हुए देखा हो। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के रहने वाले शिवदासन पिल्लई संविधान की पूजा के लिए न केवल एक छोटा सा मंदिर बनवाया है बल्कि हमेशा एक तेल का दिया भी जलाते हैं। पिल्लई ठीक वैसे ही संविधान की पूजा करते हैं जैसे लोग अपने घरों में देवी-देवाताओं की पूजा करते हैं। 71 साल के पिल्लई शिक्षक थे और छात्रों को सामाजिक विज्ञान पढ़ते थे। बुधवार को केरल के मंत्री साजी चेरियन को संविधान के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर इस्तीफा देना पड़ा है।
पिल्लई से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए देश का संविधान भगवान है और मैं इसकी पूजा करता हूं। यह हमारे देश, हमारे भाईचारे, विविधता और भविष्य का आधार है। मैं अपने भगवान के आदर्शों का पालन-पोषण करना चाहता हूं इसलिए मैंने मंदिर का निर्माण कराया है।’ पिल्लई ने कहा कि एक साल पहले उन्होंने घर के संविधान नाम के मंदिर का निर्माण किया।
मंदिर में पहुंचने वाले को प्रसाद भी देते हैं
यहीं नहीं, मंदिर में पहुंचने वाले को पिल्लई प्रसाद भी देते हैं। मंदिर पर एक पोस्टर चिपका हुआ है जिसपर मलयालम में लिखा है कि संविधान भगवान है और यह इस घर की समृद्धि है। मंदिर का आकार बहुत बड़ा नहीं है। मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, विवेकानंद, बी आर अंबेडकर और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की तस्वीरें लगी हुी हैं। वहीं, मंदिर की दीवार पर संविधान की प्रस्तावना उकेरी गई है। प्रस्तावना के अलावा, एक बड़ा बोर्ड भी लगाया गया है जो बताता है कि इस मंदिर को क्यों बनाया गया था।
पिल्लई कहते हैं कि नई पीढ़ी को हमारे संविधान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनके लिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस केवल छुट्टियां हैं। मेरा छोटा सा प्रयास संविधान की भावना को जगाना और उन्हें सशक्त बनाना है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि अगर हम इसे लेकर चले तो देश में कभी कोई संघर्ष या समस्या नहीं हो सकती है।
देश में शिक्षा कैरियर ओरिएंटेड हो गया
उन्होंने कहा कि इन दिनों देश में शिक्षा कैरियर ओरिएंटेड हो गया है जिसकी वजह से अक्सर मूल्य पीछे हट जाते हैं। मैं आधुनिक शिक्षा के खिलाफ नहीं हूं लेकिन, एक व्यक्ति एक बेहतर नागरिक कैसे हो सकता है, इसके सबक आजकल गायब है। हमें आधुनिकता और मूल्यों के उचित मिश्रण की जरूरत है। पिल्लई ने बताया कि वो और उनकी पत्नी जो एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी भी हैं, अपनी पेंशन का एक बड़ा हिस्सा बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने पर खर्च करते हैं।
बच्चों में जानने का स्वभाग गायब हो गया है
पिल्लई ने आगे कहा, मुझे लगता है कि हमारे बच्चों में किसी चीज को जानन वाला स्वभाव वास्तव में गायब हो गया है। वे सवाल पूछने से डरते हैं और शिक्षक जो कहते हैं उसी के साथ समझौता कर लेते हैं। हमें बेहतर नागरिक तैयार करने हैं। मुझे लगता है कि हमारा संविधान बाइबिल है। यह दुनिया के सबसे अच्छे संविधानों में से एक है।
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