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प्लास्टिक के विकल्प:राजधानी की 30 हजार से ज्यादा महिलाओं को प्लास्टिक बैन होने से मिलेगा नया रोजगार, घरों में बनाएंगी थैलियां

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ACN18.COM रायपुर/ सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के चलते राजधानी रायपुर में 30 हजार से ज्यादा महिलाओं को नया रोजगार मिलने जा रहा है। शहरी रोजगार से जुड़े 3 हजार से ज्यादा महिला समूह की महिलाएं अब प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए वैकल्पिक उत्पाद जैसे कपड़े के थैले, कागज के लिफाफे और दूसरे सामान बनाएंगी। इसके लिए महिलाओं को लोन के साथ सामग्री भी दी जाएगी। दरअसल, कोरोना काल के दौरान शहर में मास्क की कमी को दूर करने के लिए महिला समूहों की मदद ली गई थी। इसके जरिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी की पहल को पूरे देश में सराहना भी मिली थी। अब इसी तर्ज पर महिला समूह प्लास्टिक पर असरदार तरीके से बैन लगाने के लिए सस्ते दरों पर वैकल्पिक सामग्रियां उपलब्ध कराएंगी।

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इकोनॉमिक मॉडल जिससे महिला समूहों की होगी आय
अफसरों के मुताबिक नो प्लास्टिक मुहिम के तहत इस बार महिला समूहों को रोजगार से जोड़ने का जो प्लान बनाया गया है। उसके तहत महिला समूहों से बनाए गए प्लास्टिक से निजात दिलाने वाले प्रोडेक्ट के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाया जाएगा। ऐसे समूह जो कच्चा माल खुद नहीं खरीद पाएंगे, उन्हें कच्चा माल उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसके जरिए वो थैलियां, कागज के कैरी बैग, लिफाफे जैसे उत्पाद बनाएंगी। जिनको बेचने से होने वाली आय से कच्चे माल की लागत निकाली जाएगी।

कोरोना वेस्ट में 80% तक आई कमी प्लास्टिक कचरा भी हो रहा कम
बीते दो साल में कोरोना की वजह से शहर में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल बढ़ा है। ज्यादातर होम आइसोलेशन और अस्पतालों के मरीजों ने डिस्पोजल आइटम का उपयोग किया, जिससे प्लास्टिक कचरे में बढ़ोतरी देखी गई थी। हालांकि अब मरीजों की संख्या कम होने से प्लास्टिक वेस्ट में कमी देखी जा रही है। कोरोना काल में राजधानी में हर दिन 70 हजार किलो से ज्यादा प्लास्टिक निकल रहा था। रायपुर शहर में हर साल करीब 30 लाख किलो प्लास्टिक कचरा निकल रहा है।

कोरोना वेस्ट में 80% तक आई कमी प्लास्टिक कचरा भी हो रहा कम
बीते दो साल में कोरोना की वजह से शहर में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल बढ़ा है। ज्यादातर होम आइसोलेशन और अस्पतालों के मरीजों ने डिस्पोजल आइटम का उपयोग किया, जिससे प्लास्टिक कचरे में बढ़ोतरी देखी गई थी। हालांकि अब मरीजों की संख्या कम होने से प्लास्टिक वेस्ट में कमी देखी जा रही है। कोरोना काल में राजधानी में हर दिन 70 हजार किलो से ज्यादा प्लास्टिक निकल रहा था। रायपुर शहर में हर साल करीब 30 लाख किलो प्लास्टिक कचरा निकल रहा है।

बड़े पैमाने पर शुरू होगी नो प्लास्टिक मुहिम

स्मार्ट सिटी के अफसरों के मुताबिक रायपुर में जल्द ही बड़े पैमाने पर नो प्लास्टिक मुहिम शुरु करने जा रहा है। इसके तहत इस बार स्कूलों को भी नो प्लास्टिक जोन घोषित किया जाएगा। सबसे पहले आत्मानंद स्कूलों को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया जाना है। स्कूली छात्र छात्राओं को प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध की मुहिम से भी जोड़ा जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, रायपुर को प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पादों के केंद्र के रूप में उभारने के लिए एक नई योजना पर काम किया जा रहा है।

“प्लास्टिक बैन के साथ वैकल्पिक उत्पादों को बनाने के लिए महिला समूहों को मुहिम से जोड़ा जा रहा है। इसके जरिए उन्हें रोजगार मिलेगा साथ ही शहर भी प्लास्टिक कचरे से मुक्त होगा।”
-मयंक चतुर्वेदी, कमिश्नर, नगर निगम एवं एमडी स्मार्ट सिटी

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