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भगवान जगन्नाथ रथ तक पहुंचे:प्रथम सेवक के रूप में भगवान को लेकर गईं राज्यपाल; मुख्यमंत्री ने स्वर्ण झाड़ू से साफ किया रास्ता

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ACN18.COM रायपुर / छत्तीसगढ़ के रायपुर में अब से कुछ ही देर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने वाली है। राज्यपाल अनुसुईया उईके भगवान जगन्नाथ को प्रथम सेवक के रूप में रथ तक लेकर पहुंची हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छर पहनरा की रस्म की और स्वर्ण झाड़ू से रास्ता साफ किया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने भगवान की आरती उतारी और मंदिर में हवन किया। मुख्यमंत्री का मंदिर में पगड़ी पहनाकर समिति ने स्वागत किया गया था।

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यहां जगन्नाथ पुरी की तरह तीन रथ निकालने की परंपरा है।
यहां जगन्नाथ पुरी की तरह तीन रथ निकालने की परंपरा है।

जब भगवान आए मंदिर से बाहर
सनातन संस्कृति के जगन्नाथ महाप्रभु ही एक मात्र ऐसे देव हैं जो मंदिर से बाहर आकर लोगों को दर्शन देते हैं। गायत्री नगर जगन्नाथ मंदिर से बाहर जब महाप्रभु को कांधों में लेकर पुजारी सीढ़ियों से उतरे तो ये नजारा विहंगम रहा। मंदिर के गुंबद आसमान भक्तों की भीड़ और भगवान की छटा से नाजारा अलौकिक लगा।

राज्यपाल अनुसुईया उईके भगवान जगन्नाथ को प्रथम सेवक के रूप में रथ तक लेकर पहुंची।
राज्यपाल अनुसुईया उईके भगवान जगन्नाथ को प्रथम सेवक के रूप में रथ तक लेकर पहुंची।

गायत्री नगर में पुरी की ही तरह रथों को सजाया गया है। भगवान इसकी सवारी करेंगे। महाप्रभु के महापर्व से जुड़ी छटा देखने को मिलेगी। बिलासपुर और बस्तर सहित कई जिलों में भी पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी। बिलासपुर में 16 फीट लंबा, 17 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़ा रथ बनाया गया है। बस्तर में भी भगवान जनकपुरी स्थित गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के घर जाएंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छर पहनरा की रस्म की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छर पहनरा की रस्म की।

रायपुर में आयोजन समिति ने गायत्री नगर में तीन रथ तैयार करवाए हैं। इसी तरह पुरी में भी रथ यात्रा निकलती है। जिस रथ में जगन्नाथ विराजेंगे उसे ‘नंदीघोष कहा जाता है। भाई बलराम जी के रथ का नाम ‘तालध्वज’ है,बहन सुभद्रा जी ‘दर्पदलन’ रथ पर सवार होती हैं। ये तीनों रथ शुक्रवार को लोगों के दर्शन के लिए मौजूद रहेंगे।

मंदिर में हवन करते मुख्यमंत्री।
मंदिर में हवन करते मुख्यमंत्री।

यहां भगवान के लिए पुरी से आती है जड़ी बूटियां
मान्यता के मुताबिक गायत्री नगर के जगन्नाथ मंदिर में स्नान पूर्णिमा के बाद से ही बीमार हैं। पिछले करीब 15 दिनों से भगवान जगन्नाथ को काढ़ा दिया जा रहा था। इसके लिए जगन्नाथ पुरी और ओडिशा के नरसिंह नाथ से जड़ी-बूटियां हर साल रायपुर आती हैं। इसी से बने काढ़े का भोग भगवान को लगता है।

रायपुर का जगन्नाथ मंदिर परिसर में उमड़ी भक्तों की भीड़।
रायपुर का जगन्नाथ मंदिर परिसर में उमड़ी भक्तों की भीड़।

शहर में करीब 10 रथ निकलेंगे
टुरी हटरी, पुरानी बस्ती स्थित 500 साल पुराने जगन्नााथ मंदिर में महंत रामसुंदर दास के नेतृत्व में अभिषेक, हवन-पूजन के बाद दोपहर बाद रथयात्रा निकाली जाएगी। दोपहर 2:30 बजे भगवान जगन्नाथ जी, माता सुभद्रा और बलदाऊ जी रथ पर विराजित होंगे। इसके बाद लोहार चौक, पुरानी बस्ती थाना, कंकालीन तालाब, तात्या पारा चौक, आजाद चौक, आमापारा चौक होते हुए लाखे नगर चौक तथा टिल्लू चौक पहुंचेंगे। यहां भगवान जनकपुर में विश्राम करेंगे।

सदरबाजार स्थित 150 साल पुराने जगन्नााथ मंदिर में पुजारी परिवार के नेतृत्व में पूजन के बाद गाजे-बाजे के साथ यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा कोतवाली चौक, कालीबाड़ी होते हुए टिकरापारा पुजारी पार्क के समीप गुंडिचा मंदिर में समाप्त होगी।

रथ यात्रा की वजह से बड़ी तादाद में श्रध्दालू पहुंचे।
रथ यात्रा की वजह से बड़ी तादाद में श्रध्दालू पहुंचे।

इसके अलावा कोटा स्थित श्रीरामदरबार परिसर, अश्विनी नगर, गुढ़ियारी, आकाशवाणी कालोनी, पुराना मंत्रालय, लिली चौक और आमापारा नगर निगम कालोनी से और बढ़ई पारा से भी दिन भर रथ यात्राएं निकलेंगी।

भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए तैयार किए गए रथ।
भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए तैयार किए गए रथ।

बिलासपुर : 101 मीटर लंबी रस्सी से रथ को खीचेंगे भक्त

बिलासपुर‎ में सुबह 5.30 बजे‎ मंगल आरती हुई। इसके बाद सुबह 6.30 बजे‎ सूर्य पूजा, 7 बजे द्वारपाल पूजा, 7.30‎ बजे नवग्रह पूजा, 7.30 से 10 बजे‎ तक हवन कर महाप्रसाद‎ अर्पित किया जा रहा है। दोपहर में पहंडी भीज होगा।‎ इसके बाद भगवान का अह्वान किया‎ जाएगा। फिर छेरा पहरा की रस्म होगी।‎ इसके बाद भगवान रथ पर संवार होंगे।‎ दोपहर 2 बजे भगवान का रथ 101‎ मीटर की रस्सी से भक्त खीचेंगे। भक्त‎ भगवान को पूरा शहर भ्रमण कराएंगे।‎

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की‎ यह परंपरा 104 साल पुरानी है। शहर के तीन मंदिरों से रथयात्रा निकलकर व्यंकटेश‎ मंदिर पहुंचती है। शाम 4 बजे सदर बाजार स्थित पारासर मंदिर, गोंड़पारा दर्जी‎ मंदिर, जूना बिलासपुर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर से शोभायात्रा निकलेगी। व्यंकटेश‎ मंदिर पहुंचेगी। यहां पूजा-अर्चना होगी। भगवान को भोग लगाया जाएगा। 9 जुलाई को‎ भगवान की घर‎ वापसी के लिए‎ बहुड़ा यात्रा‎ निकलेगी।

जगदलपुर : 615 साल पुरानी है रथ निकालने की परंपरा

बस्तर में 615 सालों से चली आ रही है परंपरा लगातार जारी है। जगन्नाथ‎ पुरी के बाद बस्तर में ही गोंचा महापर्व में विशाल रथयात्रा निकाली जाती है।‎ शुक्रवार को तीन रथ निकलेंगे, जिसमें इस साल एक रथ, जिस पर भगवान‎ जगन्नाथ आरूढ़ होंगे, नया बनाया गया है। जबकि बाकी दूसरे दो रथ पिछले‎ साल के हैं, जिनमें बहन सुभद्रा और भ्राता बलभद्र सवार होंगे।‎

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