ACN18.COM कोरबा/भला कौन चाहेगा कि किसी भी सरकारी कार्यालय के आसपास अनावश्यक कबाड़ मौजूद रहे और उसकी सुंदरता को खराब करें। इस मामले में सबसे ज्यादा दिक्कत है कोरबा जिले के पुलिस चौकी और थाना के परिसर की हैं जहां पर काफी संख्या में अलग-अलग मामलों में जप्त किए गए वाहन कबाड़ के तौर पर पड़े हुए हैं। लंबा अरसा बीतने के बाद भी ना तो इन्हें सुपुर्दगी में दिया गया और ना ही नष्ट किया गया। कई तरह की प्रक्रियाओं के चक्कर में यह काम अटका हुआ है।
परित्राणाय साधुनाम के मूल मंत्र पर छत्तीसगढ़ पुलिस अपना काम कर रही हैं। यानी दोस्तों को दंडित करने के साथ अच्छे लोगों के साथ सदव्यवहार। कुछ मामलों में इस मूलमंत्र पर काम करते हुए पुलिस दिखाई देते हैं। लेकिन आरक्षी केंद्रों के आसपास एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी होता है जहां की स्थिति को देख पुलिस अधिकारी खुद परेशान होते हैं। जहां भी नजर जाएगी वहां आपको बड़ी संख्या में यहां वहां से मिला चोरी का सामान, छोटे-बड़े वाहन दिक् ही जाएंगे। काफी समय पहले पुलिस ने इन्हें अलग-अलग घटना में पुलिस के द्वारा जब किया गया तब से यह पुलिस चौकी और थाना परिसर की शोभा बढ़ा रहे है। आखिर ऐसा होता क्यों है इस बारे में वास्तविकता बताई एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा ने।
बताया जाता है कि किसी भी स्थान पर हुए हादसे अथवा चोरी या फिर आने कारण से जो सामान लिया वाहन पुलिस जस्ट करती हैं उसमें मामला दर्ज करने के साथ आगे की कार्रवाई की जाती हैं। कई बार ऐसा होता है कि लंबे समय तक प्रतिकूल मौसम की मार खाने से वाहनों की दुर्गति हो जाती हैं और जब तक उसे कब्जे में लेने की बारी आती है तब तक उसे चलाने लायक बनाने के लिए जो खर्च आता है उतने में व्यक्ति दूसरी गाड़ी खरीद सकता है। जबकि कई कारण परेशान करने वाले होते हैं इसीलिए लोग इन तमाम पचड़ों से दूर रहना चाहते हैं। यह ताला है कि ऐसे वाहनों के जल्दी निपटाने के लिए नियमों में सरलीकरण करने की आवश्यकता नहीं समझी गई है