ACN18.COM महासमुंद/महासमुंद जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत लचकेरा इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुंजायमान होने लगा है,लचकेरा में प्रजनन के लिए एशियन ओपन बिल स्ट्रोक ने एक बार फिर दस्तक दे दिया है…वर्तमान में इस गांव में इनकी संख्या सैकड़ो में आंकी जा रही है…बारिश होने पर इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
महासमुंद-गरियाबंद जिले की सीमा से लगा गांव लचकेरा इन दिनों यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों के आगमन को लेकर हर्षित है….जून माह की शुरुआत होते ही इन पक्षियों का आगमन इस गांव में होने लगता है…और जैसे जैसे बारिश अधिक होगी,नदियों में पानी का बहाव बढ़ेगा तो इसकी संख्या में लगातार वृद्धी होती जाएगी….लचकेरा गांव के पीपल, आम, कहुआ, इमली का पेड़ इन पक्षियों का बसेरा होता है….पूरे गांव में लगभग 5 हजार से भी ज्यादा इन पक्षियों की मौजूदगी है और आने वाले समय में इनकी संख्या 8 से 10 हजार हो जाएगी…ग्रामीणों की माने तो मानसून के पहले ही इन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है…जो मानसून का शुभ संकेत लेकर आते हैं….इन पक्षियों का नाम एशियन ओपन बिल स्ट्रोक है….जो गांव में प्रजनन के लिए आते हैं….और दिपावली के बाद गांव से स्वतः ही चले जाते है।
प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का वैज्ञानिक नाम एनास्टोमस ओसिटेंस है….यह पक्षी बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, भारत, आलोस, मलेशिया, म्यामार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैण्ड व वियतनाम में बहुतायत मात्रा में पाई जाती है….प्रायः अन्य पक्षियों की तरह इस पक्षी का प्रजनन काल भी जुलाई माह में प्रारंभ होता है…प्रजनन के लिए यह पक्षी प्रायः उन स्थानों की तलाश करते हैं, जहां पानी और पर्याप्त आहार की उपलब्धता हो…छत्तीसगढ़ में यह पक्षी प्रायः महानदी और उनकी सहायक नदियों के आसपास के गांवों में देखे जाते हैं….छत्तीसगढ़ के ऐसे करीब 10 से 12 गांव है जहां ये पक्षी देखे जाते हैं….ये पक्षी गांव के बबूल, पीपल, बरगद व इमली के पेड़ों में घोसला बनाकर रहे हैं…इसके साथ ही ये प्रणय क्रिया भी जारी रखते हैं….जुलाई माह आते ही मादा पक्षी घोसला में अण्डा दे देती है और फिर कुछ समय बाद जब नन्हें पक्षी बाहर आते है तो पूरा गांव कलरव से गूंजायमान होने लगता है….लचकेरा के सरपंच ने बताया की यह पक्षी सालो से हमारे गाँव के लिए मेहमान है और इन पक्षियों का हम ग्राम वासी बखूबी सरंक्षण करते है…हमारे गाँव में नेटवर्क की समस्या है लेकिन इन पक्षियों के आने के कारण हमारे ग्राम में अभी तक मोबाईल टावर की स्वीकृति भी नहीं दी है मोबाईल टावर वाले लगातर टावर लगाने सम्पर्क कर रहे है लकिन रेडियेशन से इन पक्षियों को होने वाले खतरे को देखते हुए मोबाईल नेटवर्क टावर लगाने की अनुमति नहीं दी गई है।
लचकेरा गांव में प्रजनन के लिए पहुंचे प्रवासी पक्षियों एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का खास आहार मछली, घोंघा, केकड़ा और अन्य कीट होते हैं…प्रवासीय पक्षी इन सभी जीव-जन्तुओं को भोजन के रूप में लेते हैं…यहीं नहीं गांव के खेतों के कीटों को भी ये पक्षी चुन-चुनकर खा जाते हैं…जिससे गांव के किसी भी किसान के खेतों की फसल में कोई बीमारी नहीं लगती…और हर साल किसानों को फसल में अच्छा मुनाफा होता है….किसानों की माने तो इन्ही देवदूतों के कारण आज तक गांव में ना ही बिमारी आई और ना की अकाल पड़ा….मानसून का शुभ संदेश लेकर पहुंचे इन प्रवासी पक्षियों के कलरव से अब दिपावली तक लचकेरा गांव गुंजायमान होते रहेगा।
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