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गर्मी के सीजन के साथ भयावह हुई राखड़ समस्या , बिजली घरों से प्रतिदिन निकलती है 13 लाख मैट्रिक टन राख

बहुत बड़े हिस्से में दुष्प्रभाव, लोग हो रहे परेशान

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ACN18.COM कोरबा/कोरबा के बिजली घरों की राखड़ कुल मिलाकर यहां की जनता और पर्यावरण के लिए मुसीबत बन गई हैं। यह समस्या गर्मी के सीजन में चलने वाली तेज हवा और अंधड़ के दौरान और ज्यादा तकलीफदेह हो जाती है। राखड़ को उड़ने से रोकने के लिए दावे जरूर किए जा रहे हैं लेकिन यह ख्याली पुलाव से ज्यादा कुछ नहीं है ।

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कोरबा के विकास में यहां के बिजली घरों और कोयला खदानों ने बीते कई दशक में अपनी खास भूमिका निभाई है इस बात को हर कोई स्वीकार करता है। लेकिन लोग इसके साथ इस बात को जोड़ते हैं कि विकास की प्रक्रिया में प्रदूषण बढ़ने के साथ अनंत समस्याएं भी बढ़ी हैं। और, इसका पूरा खामियाजा जनता भुगत रही है और इलाके का पर्यावरण। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों को कोरबा के पावर प्लांट से बिजली प्राप्त हो रही हैं। प्रतिदिन इन प्लांट में बड़ी मात्रा में कोयला की खपत होती हैं। इस कोयला की उपलब्धता साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोरबा जिले की खदानों से ही सुनिश्चित हो रही है। बिजली बनने के बाद उपयोग में आने वाला कोयला बड़ी मात्रा में हर राख के तौर पर उत्सर्जित होता है। इसके सुरक्षित भंडारण के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन इसकी कमी कई स्तर पर साफ नजर आ रही है। गर्मी के सीजन में चलने वाली तेज हवा के दौरान जो नजारे निर्मित होते हैं वे लोगों को काफी परेशान करते हैं। खुद पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि कोरबा के पावर प्लांट से हर रोज 13 लाख मैट्रिक टन राख निकलती हैं.। अलग-अलग स्तर पर इसकी शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि राखड़ बांध हर हाल में जन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सुरक्षित रहें, इसके लिए वहां पानी का छिड़काव करने के साथ उसे मिट्टी और तार पॉलिनसे ढकने का प्रबंध भी करना होगा। संयंत्रों के प्रबंधन को इसके लिए निर्देशित किया गया है।

अलग-अलग मौकों पर सरकार के विभिन्न विभागों के द्वारा जो फरमान जारी किए जाते हैं कुछ यही हाल छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का भी है। कागज में जारी किए जाने वाले आदेश की वास्तविकता जमीन पर कितनी मजबूत है, देखने की जरूरत शायद नहीं समझी जाती । इसीलिए समस्याएं विकराल होती जा रही हैं। पिछले कई वर्षों से समस्या बनी हुई है और इसका समाधान नहीं हो सका है । इसलिए उम्मीद नहीं करना चाहिए कि आने वाले दिनों में कोरबा के लोगों को किसी तरह की राहत मौजूदा समस्या को लेकर मिल सकेगी।

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