ACN18.COM बिलासपुर/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में तीन माह पहले हुई अधेड़ व्यापारी की हत्या की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है। उसकी हत्या उसके बेटे और भाई ने की थी। दोनों ने घर में काम करने वाले बढ़ई के साथ मिलकर पहले व्यापारी के मुंह में शराब की बोतल ठूंस दिया था, ताकि वह शोर न मचा पाए। इसके बाद धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी थी। व्यापारी ने जमीन बेच कर डेढ़ करोड़ रुपए रखे थे, जिसके लालच में उन्होंने वारदात को अंजाम दिया। अब पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना चकरभाठा थाना क्षेत्र का है।
चकरभाठा थाना प्रभारी मनोज नायक ने बताया कि 31 जनवरी की सुबह परसदा में किराना व्यापारी भगतराम कौशिक (55 साल) की खून से लथपथ लाश उसकी दुकान में मिली थी। हत्या के इस मामले में पुलिस जांच कर रही थी। शुरुआती जांच में पता चला कि व्यापारी भगतराम ने अपनी पैतृक जमीन बेची थी। इससे उसे करीब डेढ़ करोड़ रुपए मिले थे। जांच में उनका पारिवारिक विवाद भी सामने आया। पहले पुलिस को शक था कि किसी बाहरी लोगों ने हत्या की वारदात को अंजाम दिया है। लेकिन, सभी पहलुओं पर जांच के बाद शक की सुई भगतराम के परिजनों पर गई, लेकिन पुलिस को ठोस सुराग नहीं मिल रहा था।
50 से अधिक रिश्तेदार, परिचित और करीबियों से पूछताछ
जांच के दौरान पुलिस ने व्यापारी के बेटे विशाल और विकास के साथ ही उसके भाई संतोष कौशिक सहित अन्य रिश्तेदारों से भी पूछताछ की थी। भगतराम के करीबी रिश्तेदारों के साथ ही उसके परिचित और 50 अन्य करीबियों से बारीकी से पूछताछ की गई थी। उनके बयान का वीडियो रिकॉर्डिंग भी किया गया। फिर भी पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिल रही थी।
ब्लर् वीडियो, मोबाइल और फूट प्रिंट से खुला राज
जांच के दौरान पुलिस को घटनास्थल से CCTV फुटेज मिला था, जिसमें संदेहियों का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा था, लेकिन उसमें संदेहियों के चलने के तरीके दिख रहे थे। जांच के दौरान पुलिस ने संदेहियों के चलने के तरीके को देखा। इसके साथ ही मोबाइल लोकेशन और फूट प्रिंट की भी जांच की। लगातार जांच के बाद संदेहियों को चिन्हित किया गया और फूट प्रिंट और उनके चलने के तरीके को बारीकी से परखा गया। तब भगतराम के बड़े बेटे विशाल (28 साल) और भाई संतोष (45 साल) को प्रमुख संदेही मानकर पूछताछ की गई, उनका फूट प्रिंट मिलने पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की।
आखिरकार, दोनों ने अपराध कबूल किया और बताया कि मृतक भगतराम संयुक्त परिवार चलाता था। पूरे घर का खर्च और हिसाब खुद रखता था। जमीन बेचने के बाद डेढ़ करोड़ रुपए को खुद रखा था। साथ ही पूरे पैसों को घर बनाने में ही खर्च कर रहा था। इस दौरान विशाल और संतोष ने जांजगीर-चांपा के बलौदा के डोंगरी से आकर बढ़ई का काम करने वाले संग्राम यादव (36 साल) के साथ मिलकर भगतराम की हत्या करने की योजना बनाई। हत्या के बाद मकान बनाने का काम बंद हुआ, तब बढ़ई अपने गांव चला गया। इधर, विशाल और संतोष जांच के दौरान पुलिस को गुमराह करते रहे। आखिरकार, अब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस को गुमराह करते रहे चाचा-भतीजा
चकरभाठा थाना प्रभारी मनोज नायक ने बताया कि जांच के दौरान परिजन को ही संदेही माना जा रहा था। लेकिन, विशाल और संतोष ने पूछताछ के दौरान उन्हें गुमराह किया। उसने बताया कि उनकी बुआ से पिता का विवाद चल रहा था। साथ ही दोनों ने पड़ोसियों से विवाद होने की जानकारी दी थी। इसके चलते पुलिस हत्या के इस मामले की जांच में उलझ गई थी। पुलिस को हत्यारों के खिलाफ ठोस सबूत भी नहीं मिल रहे थे। यही वजह है कि आरोपियों तक पहुंचने में तीन माह लग गया।
संयुक्त परिवार होने के कारण भी हुई देर
थाना प्रभारी मनोज नायक ने बताया कि मृतक के तीन भाई और दो बहन हैं। इसके साथ ही उसकी मां, दो बेटे और दो बेटियां हैं। संयुक्त परिवार के सदस्यों के साथ ही रिश्तेदारों और करीबियों से पूछताछ करने के बाद भी पुलिस को जब कुछ हासिल नहीं हुआ, तब नए सिरे से परिजन के एंगल से ही जांच की गई और हत्यारों की पहचान हो गई।