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मजदूरों के भरोसे मिला बेस्ट परफारमेंस अवॉर्ड और उन्हीं की उपेक्षा ,मानिकपुर खदान में हवा की कमी प्रदूषण भयावह

गुलामों की तरह काम कराने का प्रबंधन पर आरोप

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ACN18.COM कोरबा /कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल के कोरबा पूर्व क्षेत्र में कई स्थानों पर कोयला मजदूरों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रहा है। कई तरह की समस्याओं के बीच काम करने के साथ यही मजदूर कंपनी को फायदा दे रहे हैं। बार-बार ध्यान आकर्षित करने पर भी इनसे जुड़ी समस्याएं हल नहीं हो चुकी हैं। एक श्रमिक संगठन ने ऐलान किया कि 1 महीने के भीतर समस्या हल नहीं हुई तो उग्र आंदोलन करना पड़ेगा।

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कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोयला खदान ओपन कास्ट और अंडर ग्राउंड स्वरूप में संचालित हो रही हैं। इन खदानों से निकलने वाले कोयला के जरिए कंपनी हर महीने भारी भरकम राजस्व अर्जित कर रही हैं। इसमें असली भूमिका कोयला निकालने वाले कामगारों की है। वास्तविकता जानने के बावजूद प्रबंधन के अधिकारी कामगारों को गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। यह कहना है भारतीय खान मजदूर संघ एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा का।

लगातार इस बात की दुहाई दी जाती रही है कि जो लोग कंपनी के लिए खास है उनके मामले में सभी रास्ते खुले हुए हैं। लेकिन मानिकपुर से लेकर सरायपाली में कई प्रकार की समस्याएं मौजूद है और काम कर परेशान हैं। कहीं पर हवा नहीं है तो कहीं प्रदूषण जबरदस्त है। और तो और सराईपाली में तो कर्मचारियों को आवास भी नहीं दिए गए हैं।

तर्क दिया जा रहा है की मजदूरों के बिना कंपनी अकेले कुछ नहीं कर सकती। श्रमिक दिवस पर कोरबा क्षेत्र को ओवरऑल परफारमेंस करने पर प्रथम पुरस्कार मिला। इसमें कुल मिलाकर मजदूरों की बड़ी भूमिका रही फिर भी उनके पद परिवर्तन के मामले को अनावश्यक लटका कर रखा गया है।

खदान में काम करने वाले कोयला कर्मचारियों के हितों का संरक्षण सबसे पहली प्राथमिकता होना चाहिए। दीपेश मिश्रा ने बताया कि अगर 1 महीने के भीतर उन से जुड़ी समस्याएं हल नहीं की जाती है तो उग्र आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा।

याद रहे देश को कोयला देने की जिम्मेदारी कॉल इंडिया पर है और लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी बताया दी है कि विदेशों से आयात किया जाने वाला कोयला काफी कम कर दिया गया है और धीरे-धीरे इसे बंद किया जाना है। यानी भारत के औद्योगिक और घरेलू जरूरत की पूर्ति का काम केवल कोल इंडिया की कंपनियों के जरिए ही होगा। जरूरत इस बात की है  कि कोयला खनन का काम जिन हाथों के माध्यम से हो रहा है उन्हें मजबूत करने के लिए काम किए जाने चाहिए। इसके लिए कोयला खदानों सहित कर्मचारियों के आवासीय क्षेत्र में वे सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए जो आवश्यक श्रेणी की है।

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