एक और तर्क दिया जाता है कि हाइवा जैसे भारी वाहन लोह-अयस्क भरकर इस सड़क पर चलते हैं, जिससे सड़कें टूट जाती हैं, तो यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अमेरिका और यूरोप में भारत के इन भारी वाहनों से चार गुना ज्यादा भारी ट्रैलर वाहन चलते हैं, फिर भी वहाँ की सड़कें सालों-साल नहीं टूटतीऔर अगर कभी कोई सड़क टूटती भी है तो रातों-रात उसकी मरम्मत कर ली जाती है, और यह मरम्मत ईमानदारी से की जाती है। परंतु हमारे यहां जब बहुसंख्य लोगों की समस्या सीधे सीधे कुछेक शक्तिशाली लोगों की कमाई या तिजोरी से जुड़ी हो तो स्थिति गंभीर हो जाती है।
बस्तर संभाग लगभग 40,000 चालीस हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है, जोकि विश्व के दर्जनों देशों से बड़ा क्षेत्र है और यह समूचा क्षेत्र मुख्य रूप से केवल एक सड़क पर निर्भर है। यदि बस्तर को आगे बढ़ना है, तो उसे न केवल बेहतर यातायात सुविधाओं की आवश्यकता है, बल्कि एक नए राज्य के रूप में अपनी पहचान भी बनानी होगी। आज देश चंद्रमा की ओर कदम बढ़ा चुका है, मंगल ग्रह पर अपने यान भेज चुका है, और सूर्य के अभियान पर भी प्रगति कर रहा है, फिर भी इसकी सड़कें और यातायात सुविधाएँ जर्जर क्यों हैं? और ऐसे में बस्तर के पर्यटन को बढ़ावा देने की बड़ी बड़ी हवा-हवाई बातें खाली हवाबाजी व गलाबाजी के अलावा कुछ नहीं हैं । यह सारे हालात एक दिशा विशेष की ओर इंगित करते हैं कि शोध हो या स्वास्थ्य हो, या फिर रोजगार सृजन का मुद्दा हो या फिर व्यावसायिक बस्तर का विकास का मुद्दा हो, बिना पृथक राज्य बने कुछ भी संभव नहीं है।
और अगर ऐसा ही है तो फिर एक सड़क के लिए रोने पीटने अथवा रेल के लिए आंसू बहाने या फिर हवाई सेवा बंद होने पर छाती पीटने की बजाय सबसे पहले बस्तर को पृथक राज्य बनाने की मांग को लेकर ही बस्तरियों को आंदोलन करना चाहिए। एक कहावत है कि ‘हाथी के पांव में सबका पांव’ , यानि कि यदि बस्तर पृथक राज्य बन जाता है तो एक साथ कई समस्याएं एक झटके में हल हो जाएंगी । सबसे पहले तो बस्तर के अंतहीन शोषण का सिलसिला बंद होगा। बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों की अंधी लूट खसोट पर रोक लगेगी। बस्तर के लोग बस्तर में बैठकर बस्तर की विकास की व्यवहारिक योजना बना पाएंगे, और चूंतआकि उसका क्रियान्वयन भी बस्तर के लोगों के हाथ में होगा तो निश्चित रूप से बेहतर क्रियान्वयन भी हो पाएगा। बस्तर के राज्य बनने से स्वाभाविक तथा भौगोलिक सभी कारणों से इसकी राजधानी जगदलपुर ही होगा होगी और ऐसी स्थिति में बस्तर को देश के भी भं अन्य भागों से रेल सड़क तथा हवाई मार्ग से जोड़ना अनिवार्य हो जाएगा।
डॉ.राजाराम त्रिपाठी
राष्ट्रीय संयोजक : अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)
संस्थापक : जनजातीय शोध एवं कल्याण संस्थान,