देशभक्ति की भावना प्रबल करने , भारत विकास परिषद का कार्यक्रम संगीत, साहित्य व संस्कृति से मिलती है देश को पहचान

राष्ट्रीय संदर्भ के बारे में लोगों को लगातार जागरूक करने की कोशिश अलग-अलग मंचों से की जा रही है। भारत विकास परिषद भी इन्हीं में से एक है जो लगातार इस तरफ अपनी भूमिका निभा रहा है। परिषद ने वार्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर देशभक्ति गीतों पर आधारित कार्यक्रम के साथ विद्यार्थियों को जोड़ा। विद्यार्थियों ने चेतना के स्वर से जुड़े हुए गीतों को अपने स्वर से खास रंग दिए। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों ने विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया।

राष्ट्र के समग्र विकास के लिए कौन से आयाम सहयोगी हो सकते हैं ,इस उद्देश्य पर भारत विकास परिषद पिछले कई दशक से सक्रियता के साथ काम कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में उसकी इकाइयां ऐसे कार्यों को बढ़ाने में लगी हुई है। समाज के भिन्न-भिन्न वर्ग उसके अभियान में अपनी भागीदारी कर रहे हैं। कोरबा जिले में परिषद ने अपनी वार्षिक कार्य योजना के अंतर्गत देशभक्ति गीतों पर आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया। अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी और अपने कौशल के साथ राष्ट्रीय सरोकारों का प्रदर्शन किया।

विद्या भारती छत्तीसगढ़ के प्रांत अध्यक्ष जुडावन सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगीत, संस्कृति और साहित्य किसी भी राष्ट्र की अपनी अलग पहचान होते हैं और इनके माध्यम से उसे राष्ट्र को बेहतर तरीके से जाना पहचाना जा सकता है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि बिना ऑडियो वीडियो के मौलिक रचनाओं को कैसे सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है यह प्रयोग भारत विकास परिषद लगातार कर रहा है।
भारत विकास परिषद के स्थानीय अध्यक्ष डीके कुरेशिया ने बताया कि राष्ट्रीय चेतना के जागरण को लेकर संगठन काम कर रहा है। इसके माध्यम से शैक्षणिक क्षेत्र में कार्यक्रम किया जा रहे हैं । अन्य गतिविधियां भी हमारी ओर से लगातार की जा रही हैं।

भारत विकास परिषद ने देशभक्ति गीतों की प्रतियोगिता के समापन पर सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। इसके माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई की प्रतियोगिता में हार जीत से कहीं ज्यादा महत्व भागीदारी करना और अपने कौशल को निखारने का है।