Acn18. Com.औद्योगिक अंचल कोरबा के एक महत्वपूर्ण पत्रकार स्वर्गीय रमेश पासवान की स्मृति में तृतीय वर्ष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें कोरबा जिले के ऊर्जावान युवा पत्रकार को बेहतर पत्रकारिता के लिए 10 हज़ार रूपए की राशि और शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में जिले के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकर जन शामिल हुए.
पंडित मुकुटधर पांडे साहित्य भवन मे दैनिक लोक सदन के द्वारा प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्मदिवस के दिन संगोष्ठी का आयोजन करते हुए पत्रकार स्वर्गीय रमेश पासवान स्मृति सम्मान समारोह तृतीय वर्ष का आयोजन किया गया। सम्मान समारोह की शुरुआत मां सरस्वती वंदना के साथ की गई। मंच का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सदानंद दीवान ने पत्रकार स्वर की रमेश पासवान स्मृति सम्मान तृतीय वर्षा युधिष्ठिर राजवाड़ा को देने की घोषणा की. मंच पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार किशोर शर्मा, विकास जोशी, सुरेश चंद्र रोहरा, प्रगतिशील लेखक संघ कोरबा इकाई के संरक्षक शिव शंकर अग्रवाल, सचिव अरविंद पांडे, बनफर जी ने नगद राशि और शाल श्रीफल से युधिष्ठिर रजवाड़ों को बेहतरीन जनहितकारी रिपोर्टिंग के सम्मानित किया। कार्यक्रम में पहुंचे जिले के पत्रकार और साहित्यकारों ने स्वर्ग रमेश पासवान को याद करते हुए पुरानी यादों को ताज किया।
मंच का संचालन कर रहे पत्रकार सदानंद दीवान भावुक मन से अपने दिवंगत साथी पत्रकार रमेश पासवान को याद करते हुए कहा कि केवल उनके साथी ही नहीं बल्कि कोरबा जिले के पूरे पत्रकारिता जगत को उनकी कमी खलती है। प्रत्येक दिन ऐसा लगता है मानो किसी जन सरोकार के मुद्दे को लेकर आज पासवान भाई से बात हो जाए।
कार्यक्रम में शामिल लोक सदन के संपादक पत्रकार सुरेश चंद्र रोहरा ने याद करते हुए कहा कि पासवान भाई से उनकी बहुत ही अच्छी मित्रता थी। जब से उन्होंने पत्रकारिता जगत में कदम रखा तब से उनके साथ मिलना जुलना होता रहा। आज हमारे बीच उनके नहीं होने से बहुत कमी खलती है। स्वर्गीय पत्रकार रमेश पासवान की कार्यशैली बड़े मैनेजमेंट और पूंजीपतियों को नहीं देखती थी उनकी पत्रकारिता आम, गरीब और असहाय लोगों के मुद्दों को अपनी कलम से उठते थे। और इतनी बेहतर पत्रकारिता कैसे करते थे यह भी बड़े आश्चर्य की बात है।उनके पास गाड़ी नहीं हुआ करती थी, कहीं दूर रिपोर्टिंग करने जाना होता था तो मुझे कहते थे। उसे जमाने में भी बिना साधन उनके सुदूर वनांचल क्षेत्र में परिचित और साथी हुआ करते थे। लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं किया, ना ही उनमे दाम(रुपया )की लालच और ना ही नाम कामने की बस जन सरोकार की पत्रकारिता किया करते थे।
वरिष्ठ पत्रकार जोशी जी ने पत्रकार स्वर्गीय रमेश पासवान को याद करते हुए कहा कि उनके स्मृति में इस तरह का सम्मान कार्यक्रम करना बेहद प्रशंसनीय है। ऐसे सम्मान समारोह से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों बेहतर करने का प्रोत्साहन मिलता है। पासवान जी से जुड़ी पुरानी यादों को ताजा करते हुए जोशी जी ने बताया कि जब वें कोरबा प्रेस क्लब के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मैदान में थे तब रमेश पासवान और लक्ष्मीकांत जोशी मेरे प्रस्तावक और समर्थक. रमेश मेरे छोटे भाई की तरह था उसकी पत्रकारिता को मैं बेहद करीब से जाना। उसने कभी अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं किया।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार किशोर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वर्गीय रमेश पासवान मेरे सहयोगी थे, 10 वर्षों तक उन्होंने मेरे साथ काम किया। आज तक किसी ने नहीं कहा कि रमेश ने किसी से पैसे की मांग की होगी या किसी को धमकाया होगा। बड़े ही सरल और सहज स्वभाव के धनी थे। उन्होंने मुझसे सीख मैंने उनसे भी कुछ उनसे सीख। देशबंधु में मुझे जो सिखाया गया था उन चीजों को मैंने भाई रमेश को सिखाया और आप सबके बीच में वह एक सफल पत्रकार बने। पुराने दिनों को याद करते किशोर शर्मा जी ने बीते हुए कुछ वाक्य को बताया..
रमेश आज मुझे तुम पर गर्व है
पत्रकार किशोर शर्मा जी ने पुराने घटनाओं को याद करते हुए बताया कि एक बार किसी काम से उन्हें बाहर जाना हुआ। इस दौरान कुछ लोगों के बीच किसी ने मेरी पत्रकारिता को लेकर टिप्पणी कर दी। इसे सुन रमेश को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने वहां अकेले होते हुए सब लोगों की तरफ से जवाब दे दिया “रमेश ने कहा- भैया हम लोग व्यवसाय के लिए पत्रकारिता नहीं करते, मूल्यों की पत्रकारिता करते हैं” जब मैं कोरबा लौटा तो मुझे इस बात की जानकारी हुई तब मुझे बड़ा ही गर्व महसूस हुआ।
पत्रकार स्वर्गीय रमेश पासवान छत्तीसगढ़ के कोरबा अंचल में पत्रकारिता को एक नई दिशा दी. उन्होंने दैनिक पत्रिका, नवभारत, हरिभूमि, देशबंधु, कोरबा कोबरा और वीर छत्तीसगढ़ समाचार पत्रों में लगभग तीन दशक तक अपनी सेवाएं दी थी. पत्रकार रमेश पासवान का विगत 3 वर्ष पूर्व असामयिक निधन हो गया था. उनकी कलम हमेशा पिछड़े, असहाय व मज़दूरों के समर्पित थी.कोरबा औद्योगिक नगरी होने के कारण यहां उन्होंने अपनी कलम से मज़दूरों की आवाज को उठाया. स्वर्गीय पासवान की कलम के कायल अंचल के बड़े नेताओं से लेकर पत्रकार जगत था.