रायपुर; छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सुशासन वाली सरकार के भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर आज उच्च न्यायालय ने मोहर लगा दी है। प्रदेश में बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोपियों के विरूद्ध ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा केस दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों द्वारा बिलासपुर उच्च न्यायालय में इसके विरूद्ध याचिकाएं दायर की गई थीं, जिस पर आज फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सभी 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत का पूर्व आदेश भी रद्द कर दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने माना है कि सबूतों के आधार पर ही ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है। शराब घोटाले को लेकर एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निदेश पुरोहित, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त कराने उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने विगत 10 जुलाई को सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की थी। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने जिरह किया था। उच्च न्यायालय में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ और सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू-एसीबी के खिलाफ दायर थीं। इन याचिकाओं में शराब घोटाले के मामले में ईडी द्वारा पुनः की जा रही कार्यवाही और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्हें खारिज करने की याचना की गई थी। इनमें से एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने अनिल टुटेजा को अंतरिम राहत प्रदान की थी जिसे अब रद्द कर दिया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा के मुताबिक कांग्रेस सरकार में अनवर ढेबर ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए एपी त्रिपाठी को सीएसएमसीएल (CSMCL) का एमडी नियुक्त कराया था। इसके बाद अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिए 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया।
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