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विश्वनाथ के भक्तों पर पुष्प वर्षा की गई. 5 किलोमीटर लंबा रेड कारपेट बिछाया गया

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Acn18.com/सावन के तीसरे सोमवार को शिव मंदिरों पर कांवड़ियों और भक्तों की भीड़ है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ में 10 बजे तक एक लाख भक्त दर्शन कर चुके हैं। मंदिर के बाहर 2 किमी. लंबी लाइन लगी है। कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने भक्तों पर पुष्पवर्षा की। आज रात शयन आरती के बाद बाबा विश्वनाथ का अर्धनारीश्वर श्रृंगार किया जाएगा।

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इधर, बस्ती में भदेश्वरनाथ मंदिर के बाहर कांवड़ियों सैलाब उमड़ पड़ा है। मुश्किल से यहां भक्त भगवान का जलाभिषेक कर पा रहे हैं। लखनऊ में भी मनकामेश्वर मंदिर पर दर्शन का सिलसिला चल रहा है।

प्रयागराज से महिलाओं का एक जत्था संगम का जल लेकर बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने पहुंचा है। 75 साल की दादी इस जत्थे की अगुवाई कर रहीं हैं। हर-हर महादेव के जयघोष के साथ आगे बढ़ रहीं हैं।

प्रयागराज के शिवालय में किन्नरों ने किया जलाभिषेक प्रयागराज में तीसरे सोमवार को बड़ी संख्या में महेवा स्थित शिवालय में किन्नरों ने जलाभिषेक किया। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि (टीना मां) हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए मंदिर पहुंचीं। उन्होंने कहा- जग कल्याण का भाव लेकर हम लोगों ने यहां दर्शन पूजन और जलाभिषेक किया।

सावन के तीसरे सोमवार को विश्वनाथ गली के व्यापारियों ने 84 घाट और 12 कुंडो के जल से बाबा का जलाभिषेक किया

बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए गोदौलिया से ही भक्तों का रेला उमड़ा है। विभिन्न शहरों से काशी पहुंचे कांवड़िए हर- हर महादेव के उद्घोष के साथ बाबा दरबार की ओर बढ़ रहे हैं।

विश्वनाथ मंदिर गेट नंबर 4 पर भक्तों की लंबी लाइन लगी है। भक्तों के लिए 5 किलोमीटर लंबा रेड कार्पेट बिछाया गया है।

काशी में भगवान शिव के पिता महेश्वर महादेव का मंदिर भी स्थापित है। यह मंदिर जमीन से 30 फीट नीचे है। इस मंदिर को साल में बस एक बार शिवरात्रि के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अन्य दिनों में शिवलिंग के ऊपर बने एक छिद्र से ही जलाभिषेक किया जाता है। सावन में भी इस मंदिर के कपाट नहीं खुलते हैं।

मंदिर के पुजारी अंकित मिश्रा के मुताबिक, माना जाता है कि जब गंगा और काशी का कोई अस्तित्व नहीं था तभी से यह मन्दिर यहां स्थापित है। शिवलिंग के ऊपर एक बड़ा सा छेद है उसी से लोग दर्शन करते हैं। काशी कथा कांड में इस मंदिर का जिक्र है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जब सभी देवी देवता काशी आए तो शिव के पिता को न देख वो उदास हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उनका आह्वान किया। बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव प्रकट हुए और शिवलिंग स्वरूप में यहां विराजमान हो गए। मंदिर के गर्भग्रह में जाने के लिए पतली सी सीढ़ी हैं।

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