छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में बीते 7 दिनों में 5 बैगा आदिवासियों की मौत हो गई। पहाड़ों में रहने वाली बैगा जनजाति के बस्तियों में डायरिया फैला हुआ है। इस घटना की वजह से शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उसी गांव सोनवाही पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।
मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- यह राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र हैं। यह पिछड़े विशेष जनजाति में आते हैं। इनका तो विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मगर यहां ना तो दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं ना सही इलाज मिल पा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में सरकार की ओर से बड़ी लापरवाही यहां देखने को मिल रही है।
विधानसभा में उठाएंगे मामला
भूपेश बघेल ने आगे कहा- सरकार संरक्षित जनजाति के लोगों को मच्छरदानी तक उपलब्ध नहीं करा पा रही। स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और आवश्यक सुविधाएं भी नहीं है। हम मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग करते हैं। हम राष्ट्रपति को पत्र लिखेंगे। विधानसभा के मानसून सत्र में जनजाति के लोगों की मौत का मामला उठाएंगे।
सात दिन में 5 मौत
सोनवाही में बीते 7 दिन में 5 बैगाओं की मौत हो चुकी है। सोनसिंह व फूलबाई की मौत 10 जुलाई को उल्टी-दस्त से हुई। इसी गांव के सुरेश (26) की 8 जुलाई को अज्ञात कारण से मौत हुई थी। लीकेश्वरी (25) की मौत 8 जुलाई को लालघाट(मप्र) में उसके मायके में हुई थी। सोनवाही उसका ससुराल है। जून महीने में उसकी जचकी हुई थी। कुछ दिन पहले ही मायके वाले उसे ले गए थे।
वहीं संती बाई (26) की मौत 4 जुलाई को उसके ससुराल पड़की पारा (सहसपुर लोहारा) में हुआ। खास बात ये है कि मौतों के बाद स्वास्थ्य अमले ने जब घर-घर जाकर जांच की, तो 8 मलेरिया पॉजिटिव भी मिले हैं। बताया जा रहा है कि बीते 7 दिन में 5 बैगाओं की मौत हुई है, जो इसी गांव से ताल्लुक रखते हैं। इससे महकमे में हड़कंप मच गया है।
गुरुवार सुबह कलेक्टर जन्मेजय महोबे, जिपं सीईओ संदीप अग्रवाल, सीएमएचओ डॉ. बीएल राज गांव पहुंचे। यहां मृतक सोनसिंह (45) और फूलबाई के परिजन से मिले। ग्रामीण संजय ने बताया कि 10 जुलाई को खेत से लौटने पर रात में अचानक सोनसिंह की तबीयत बिगड़ी। उसे उल्टी हुई और 3 से 4 घंटे बाद उसकी मौत हो गई। वहीं मृतका फूलबाई की भी उल्टी से मौत होना बताया।