सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लॉक में पीएम आवास योजना में गड़बड़ी के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। SDM की जांच रिपोर्ट के आधार पर कमलेश्वरपुर पुलिस ने दो पूर्व जनपद CEO और एक BLO के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। शुरुआती जांच में 14 हितग्राहियों के 11 लाख 60 हजार रुपए दूसरों के खाते में भेजना पाया गया है।
मैनपाट में पीएम आवास योजना के तहत 600 से ज्यादा हितग्राहियों की राशि दूसरों के खाते में भेजकर राशि गबन करने का मामला सामने आया था। जिले के प्रभारी मंत्री ओपी चौधरी ने अधिकारियों को 15 दिनों में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था।
मामले की जांच सरगुजा कलेक्टर की ओर से सीतापुर SDM रवि राही की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय समिति कर रही है। 2016 से 2023 में स्वीकृत आवासों में 3.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी की आशंका है।
दर्ज हुई पहली FIR, 2 जनपद CEO फंसे
मामले की शुरुआती जांच रिपोर्ट कमेटी ने कलेक्टर को सौंपी थी। जांच में 14 हितग्राहियों के लिए स्वीकृत 11 लाख 60 हजार रुपए अपात्र लोगों के खाते में भेजना पाया गया है। इसी के आधार पर कमलेश्वरपुर पुलिस ने पूर्व जनपद सीईओ सागर चंद गुप्ता, जय गोविंद गुप्ता और आवास मित्र (विलेज लेवल एग्जीक्यूटिव) तसव्वुर खान तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने धारा 409, 420, 34 का अपराध दर्ज किया है।
पूरी जांच के लिए की जा रही है लिस्टिंग
मामले के जांच अधिकारी SDM सीतापुर रवि राही ने बताया कि हितग्राहियों की लिस्टिंग कराई जा रही है। वास्तविक हितग्राही के खाते में पैसे न भेजकर दूसरे हितग्राहियों के खाते में राशि भेजी गई है। जितने हितग्राही ऐसे निकलेंगे, उनका पैसा वसूलकर वापस कराएंगे।
करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की आशंका
मामले में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की आशंका है। ऐसे हितग्राहियों की संख्या 600 से ज्यादा बताई गई है, जिन्हें पैसा नहीं मिला। वहीं, मामले में गड़बड़ी करने वाले कर्मचारियों का नाम अभी FIR में नहीं आया है। दरअसल, जनपद CEO का यूजर नेम और पासवर्ड लेकर कर्मचारी पीएम आवास योजना का काम करते थे। जो कर्मचारी इसमें शामिल हैं वे अब तक की जांच में गायब हैं।
मैनपाट जनपद CEO हटाए गए
इस मामले में सरगुजा कलेक्टर ने मैनपाट के जनपद CEO अमन कुमार यादव को लापरवाही के आरोप में हटाकर जिला पंचायत में संलग्न कर दिया है। सहायक संचालक महेंद्र खांडेकर को मैनपाट का नया जनपद CEO बनाया गया है।
जांच के दायरे में मैनपाट में पदस्थ कई CEO
मैनपाट में पीएम आवास घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद अधूरे पीएम आवासों को पूरा कराने का दबाव आया। हितग्राहियों को आवास पूरा करने को कहा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें राशि मिली ही नहीं है, जबकि सरकारी दस्तावेजों में उनके आवास की पूरी राशि जारी होना पाया गया।
जांच के दायरे में मैनपाट में पदस्थ रहे वे जनपद सीईओ भी आएंगे, जिनके कार्यकाल में गड़बड़ी मिली है। इसमें शामिल जनपद कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों के खातों में पीएम आवास का पैसा ट्रांसफर कर दिया और अपनी हिस्सेदारी ले ली है। क्योंकि राशि जारी करने की आईडी जनपद सीईओ के पास होती है, इसलिए वे सीधे मामले में फंस रहे हैं।