acn18.com कोरबा / भले ही कोरबा रेलवे स्टेशन में कई करोड़ की लागत से नए विकास कार्य कराए जा रहे हैं लेकिन अब तक अन्य प्लेटफार्म पर जाने के लिए एस्केलेटर की सुविधा सपना बनी हुई है। दूसरी और एक वर्ष पहले लगाई गई लिफ्ट मतलब साबित हो रही है। इसके काम नहीं करने से उम्रदराज और निशक्त लोगों को फुट ओवर ब्रिज का सहारा लेना पड़ रहा है।
यात्री परिवहन और कोयला लदान से प्रतिवर्ष 6000 करोड़ का राजस्व कोरबा से रेलवे को प्राप्त हो रहा है। इतना सब कुछ होने के बावजूद यात्री हितों की अनदेखी की जा रही है। यात्री सुविधाओं के मामले में मनमानी और लापरवाही की शिकायतें पिछले के वर्षों से बनी हुई है जो समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। रेलवे प्रबंधन के द्वारा बीते वर्षों में झुनझुना करने के नाम पर कोरबा रेलवे स्टेशन में लिफ्ट इंस्टॉल तो जरूर कर दी गई लेकिन इसकी सुविधा एक दो महीने ही मिल सकी। लंबे समय से यह लिफ्ट काम नहीं कर रही है और इस चक्कर में आम यात्री परेशान है। लोग चाहते हैं कि जल्द ही इसका मेंटेनेंस करने पर ध्यान दिया जाए ताकि कुछ तो राहत मिले।
दक्षिण पर मध्य रेलवे ने कोरबा को बी कैटिगरी के स्टेशन में शामिल किया है। लेकिन स्टेशन का अवलोकन करने पर ऐसे लगता है मानो यह दूसरी दुनिया का स्टेशन है और मजबूरी के चक्कर में यहां कुछ सुविधा दे दी गई है। इतना जरूर है कि रेलवे प्रबंधन कोरबा का दोहन लगातार कर रहा है। रोजाना मालगाड़ियों के माध्यम से होने वाले कोयला परिवहन के कारण प्रदूषण की मार कुल मिलाकर यहां की जनता बर्दाश्त करने को मजबूर है। पूरे मामले में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि लंबे समय से आंख मूंदे हुए हैं और इसी का भरपूर लाभ रेलवे उठा रहा है