acn18.com कोरबा/ पढ़ लिखकर रोजगार की तलाश करने वाला वर्ग मार्केटिंग कंपनियों के चंगुल में फंस रहा है। इसके लिए उसे बड़ी कीमत भी देनी पड़ रही है और परेशानी झेलनी पड़ रही है ,सो अलग। जीटीके मार्केटिंग कंपनी ने अपने जाल में ऐसे ही कई युवकों को फांस रखा है। कोरबा के खरमोरा में घुटन भरे माहौल में परेशान ऐसे 2 युवकों को ग्रेंड न्यूज़ के प्रयास से मुक्ति मिल सकी।
42 डिग्री की जबर्दसत गर्मी में कोरबा का जनजीवन वैसे ही हर किसी को परेशान किए हुए हैं। ऐसे में प्रतिकूल परिस्थिति किसी को भी मुश्किल में डाल सकती हैं । यह तस्वीर है खरमोरा कि, जहां सीमित आकार वाले इस कमरे में क्षमता से अधिक युवकों को प्रशिक्षण के नाम पर जीटीके मार्केटिंग कंपनी ने रखा हुआ है। एक सप्ताह से विभिन्न क्षेत्रों के युवा यहां पर सामानों को बेचने की तकनीक सीखाने के लिए रखे गए हैं। विष्णु और शेखर नाम के व्यक्तियों के द्वारा मार्केटिंग कंपनी का विज्ञापन देकर इन युवकों को झांसे में लिया गया। प्रत्येक व्यक्ति से 18 हजार रुपए वसूल किए गए। इन लोगों को काम करने के बदले ऊंचा वेतन देने की बात कही गई थी लेकिन जब यह लोग कोरबा पहुंचे और यहां का माहौल देखा तो उन्हें समझ में आ गया कि माजरा कुछ और है। यहां के भारी तापमान में रहना और फिर कामकाज करना कुल मिलाकर मुश्किल भरा तो था ही, खानपान की भी समस्या थी। ऐसे में सावन कुमार और रितिक ने जब यहां से अपने घर लौटने का इरादा बनाया तो उन्हें बंधक बना लिया गया और निगरानी तेज कर दी गई। किसी तरह इन लोगों ने ग्रैंड न्यूज़ रिपोर्टर को अपनी परेशानी बताई। ग्रैंड एसीएनन्यूज़ द्वारापुलिस की जानकारी में यह बात लाने के बाद इस दिशा में काम किया गया और फिर युवकों को यहां से राहत देने का इंतजाम हो सका।युवकों ने इस कोशिश के लिए ग्रैंड न्यूज़ का धन्यवाद जताया।
मार्केटिंग कंपनी के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के युवकों को प्रशिक्षण के बहाने यहां लाये जाने की सूचना मिलने पर सिविल लाइन पुलिस हरकत में आई और खरमोरा में इस ठिकाने का जायजा लिया। इस दौरान के प्रकार की जानकारी सामने आई। पूछताछ में पता चला कि प्रशिक्षण लेने वाले कई लड़कों की उम्र तो 17 वर्ष के आसपास ही हैं। पुलिस ने कई विषय में मार्केटिंग कंपनी का संचालन करने वाले लोगों से खबर ली। जीटीके मार्केटिंग कंपनी के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति बिलासपुर निवासी जितेंद्र से मौके पर हमारी मुलाकात हुई। पूछताछ में उसने प्रशिक्षण के नाम पर 18000 रुपए लेने की बात स्वीकार की और बताया कि घरेलू उपयोग में आने वाले सामानों की बिक्री करने का प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। अगर कुछ दिन के बाद कोई व्यक्ति जाना चाहता है तो उसे अंतर की राशि देने की व्यवस्था है। उसने यह भी बताया कि जो लोग यहां बुलवाए गए हैं उसके लिए किसी प्रकार का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया गया है।
अपना धंधा चमकाने के लिए कई मार्केटिंग कंपनियां कई स्तर पर काम कर रही हैं। यहां वहां सूचना जारी करने से बड़ी संख्या में ऐसे लोग फस ही जाते हैं जिन्हें मार्केटिंग कंपनियों के असली सच की जानकारी नहीं होती है कि उनका उद्देश्य क्या है। अलग-अलग आधार पर जब इस प्रकार के लोग मार्केटिंग कंपनियों के खाते में मोटी रकम जमा कर देते हैं और जब उनका कथित प्रशिक्षण शुरू होता है तब मालूम चलता है कि असली कहानी कुछ और ही है। इसके बाद वे फर्जी दुनिया से किसी भी तरह मुक्त होने के लिए संघर्ष करना शुरू करते हैं भले ही फिर उनकी जमा की गई पूंजी क्यों ना डूब जाए। जिटिके कंपनी में जुड़ने वाले कुछ युवकों के साथ इसी प्रकार के अनुभव सामने आए हैं। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जबकि पीड़ितों को मीडिया और पुलिस की दखल के बाद मुक्ति मिल सकी। नगर में इससे पहले भी ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वालों की दुकान यहां वहां चल ही रही है और वह अपनी जमीन को मजबूत करने में सफल हो रहे हैं।