acn18.com बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन गिद्धों का संरक्षण करेगा। राज्य सरकार के निर्देश पर प्रबंधन ने टाइगर रिजर्व के अंदर और इससे लगे 100 वर्ग किमी एरिया में संरक्षित करने का कार्य किया जाएगा। इस दौरान सबसे अहम होगा जागरूकता कार्यक्रम। इसमें आम नागरिकों के बीच पहुंचकर गिद्धों की अहमियत बताई जाएगी। इसके साथ टीम तीन प्रमुख बिंदुओं पर काम करेगी। इसमें रहवास, प्रतिबंधित दवाइयों के उपयोग पर अंकुश और फूड मैनेजमेंट शामिल हैं। प्रबंधन का मानना है कि गिद्धों के संरक्षण व संवर्धन के लिए यह प्रमुख बिंदु है।
गिद्धों को प्रकृति का सबसे बड़े सफाईकर्मी माना जाता है। लेकिन, वर्तमान में यह संकटग्रस्त प्रजाति है। गिद्धों को आहार शृंखला के सर्वोच्च स्थान आंका गया है। 90 के दशक में लगभग 40 लाख गिद्ध भारत में थे, जो लगभग 12 लाख टन मांस को वार्षिक दर से समाप्त किया करते थे। आज इनकी आधे से ज्यादा आबादी खत्म हो चुकी है। कहीं न कहीं यह एंथ्रेक्स, रेबीज व हैजा जैसी गंभीर बीमारियों के चलते हुई है। गिद्धों की संख्या कम होने की वजह तीन घातक वेटनरी मेडिसिन थी, जो जानवरों की मांस के जरिए गिद्ध खा रहे थे। उन घातक दवाओं पर रोक लगाने के बाद गिद्धों की संख्या में एक पुन: वृद्धि होने की आस जगी है। लेकिन, यह बात भी सामने आई है कि मवेशियों के लिए भले ही यह दवाइयां न उपयोग होती हों, लेकिन मनुष्यों में इन दवाइयों का कहीं न कहीं उपयोग हो रहा है। मसलन दवाइयां बाजार में उपलब्ध हैं। इसी वजह से नौसेखिए पशु चिकित्सक इसका उपयोग अभी भी मवेशियों में करने के लिए लिख देते हैं। हालांकि गिद्धों की संख्या में अब कुछ इजाफा हुआ है।
यह आंकड़ा बढ़ सकता है। बशर्ते, उस तरह की योजना बनाई जाए। गिद्धों की संरक्षण, संवर्धन करने अचानकमार टाइगर रिज़र्व प्रबंधन के द्वारा राज्य कैंपा अंतर्गत योजनाबद्ध कार्यक्रम किया जा रहा है। इसके लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय और डिप्टी डायरेक्टर गणेश यूआर के नेतृत्व में गिद्ध संरक्षित क्षेत्र बनाकर गिद्धों की संख्या में वृद्धि करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह संरक्षण अकेले टाइगर रिजर्व के अंदर नहीं होगा बल्कि 100 वर्ग किमी के एरिया में इसके लिए प्रयास करने की योजना है।
ऐसे करेंगे संरक्षण, संवर्धन
अचानकमार टाइगर रिजर्व के उप संचालक गणेश यूआर ने बताया कि अचानकमार टाइगर रिजर्व के वल्चर कंजरवेशन एसोसिएट अभिजीत शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। संरक्षण कार्यक्रम के दौरान 100 वर्ग किमी के दायरे, जहां गिद्धों के घोंसला देखे गए हैं, उनकी सुरक्षा करने के साथ लोगों को गिद्धों की संरक्षित करने जागरूक किया जाएगा। अभिजीत शर्मा का कहना है कि रहवास के साथ-साथ दवाइयों पर पूर्णत: प्रतिबंध और फूड मैनेजमेंट के जरिए संरक्षण पर जोर दिया जाएगा। आम नागरिकों के बीच जागरूकता अभियान के साथ-साथ वन अमले से भी अपील की जाएगी कि वह उन पेड़ों की कटाई रोकें, जिनमें घोंसला है।
एटीआर में 50 के लगभग गिद्ध
वल्चर कंजरवेशन एसोसिएट अभिजीत शर्मा का कहना है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में 50 के लगभग गिद्ध है। वह जगह भी चिन्हित हैं, जहां इनका रहवास है। बेहतर प्रयास और बनाई गई योजना पर काम करने से आंकड़ा बढ़ेगा।
क्यों जरूरी है गिद्ध
गिद्ध एक मृतोपजीवी पक्षी है, जिसका पाचनतंत्र मजबूत होता है। इससे यह रोगाणुओं से परिपूर्ण सड़ा गला मांस भी पचा जाते हैं और संक्रामक रोगों का विस्तार रोकते हैं। इनके न होने से जंगली पशु- पक्षियों में विभिन्न संक्रामक रोक फैल रहे हैं।