spot_img

आरंग में मिली प्राचीन दुर्लभ मूर्ति को लेकर बढ़ा विवाद: जैन समाज को सौंपने कलेक्टर के आदेश का हो रहा विरोध, मूर्ति आरंग में ही संरक्षित करने की मांग

Must Read

ACN18.COM रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरंग को मंदिरों की नगरी कहा जाता है. राजा मोरध्वज की राजधानी आरंग में मिलने वाले प्राचीन और दुर्लभ मूर्ति तथा ऐतिहासिक धरोहरों के कारण ही आरंग ही पहचान देश में फैली है. लेकिन विगत कुछ दिनो से आरंग नगर में ऐसा हो रहा है जो अभी तक कही भी न तो देखने को मिला है और न ही सुनने का.

- Advertisement -

दरअसल दो साल पहले सितंबर 2021 में आरंग के अंधियार खोप तालाब में गहरीकरण के दौरान प्राचीन और दुर्लभ जैन तीर्थंकर की सादृश्य प्रतिमा मिली थी. जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा भांडदेवल मंदिर में सुरक्षित रखा गया है. बीते दिनों डोंगरगढ़ के जैन समाज ने इस मूर्ति को ले जाने के लिए प्रशासन से मांग की थी, जिस पर रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने मूर्ति को जैन समाज डोंगरगढ़ को सौंपने का आदेश जारी कर दिया. लेकिन आदेश की जानकारी आरंग के स्थानीय लोगों को होने के बाद से कलेक्टर के आदेश का विरोध हो रहा है.

आरंग के स्थानीय निवासियों का आरोप है कि, तालाब में मिली प्राचीन और दुर्लभ मूर्ति को प्रशासनिक दबाव की वजह से आरंग से बाहर राजनांदगांव के जैन ट्रस्ट को दिया जा रहा है. कई सामाजिक संगठनों ने इस आदेश का विरोध कर संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा है. लोगो का कहना है कि आरंग की पहचान यहां के प्राचीन मूर्ति,अवशेषों और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण होती है. अगर ये प्राचीन मूर्ति यहां से चली जायेगी तो इसी तरह कोई भी समाज ऐसे ही मांग करेगा और यहां की कई मूर्तियों को ले जाएगा। नागरिकों की बिना सहमति के आरंग की धरोहरों को ले जाने अनुचित है.

जानिए क्या कहते है इतिहास के जानकार

इतिहास के जानकारों का कहना है कि निखात निधि अधिनियम 1878 के प्रावधान का हवाला देकर कलेक्टर के द्वारा इस प्राचीन मूर्ति को जैन समाज को पूजा पाठ के लिए देने का आदेश जारी किया गया है, जबकि इस अधिनियम में कलेक्टर को कोई शक्ति प्रदान नही है जिससे वे देश के पुरातात्विक धरोहर को किसी व्यक्ति अथवा समाज को पूजा पाठ के लिए दे. इसे पुरातात्विक महत्व की धरोहरों का ट्रांसपोर्टिंग करना भी गलत है. इस मामले पर स्थानीय अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे है. यथा संभव पुरातात्विक महत्व की मूर्ति अथवा वस्तुएं जहां से प्राप्त होते है, उन्हे उसी स्थान पर या निकटतम पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में सुरक्षा और संरक्षण के लिए रखा जाता है, लेकिन आरंग के मामले में ऐसा नही हो रहा है.

उल्लेखनीय है की पहले भी आरंग थाने में रखी अनेकों प्राचीन मूर्तियां अन्यत्र ले जाई गई है जिसके विषय में आज तक कोई पुष्ट जानकारी नहीं है. यही क्रम चलता रहा तो आरंग की ऐतिहासिकता पर ही सवालिया निशान उठने लगेगा. नगरवासियों की मांग है कि रायपुर कलेक्टर के त्रुटिपूर्ण आदेश को शासन निरस्त करे और आरंग के धरोहरों को सुरक्षित करने आरंग में ही संग्रहालय बनाने आवश्यक कदम उठाए.

जगदलपुर : परीक्षा पर चर्चा : ज्ञानगुड़ी के ऑडिटोरियम में किया गया आयोजन

377FansLike
57FollowersFollow


v

377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

पत्रकार प्रदीप महतो के निधन पर उनके निवास स्थान पर पहुंचे विपक्ष के नेता डॉक्टर चरण दास महंत, किया शोक व्यक्त

Acn18. Com.कोरबा की ग्रामीण क्षेत्र में दबे कुचलो की आवाज बुलंद करने वाले पत्रकार प्रदीप महतो के निधन को...

More Articles Like This

- Advertisement -