उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की ओर से जारी उस शासनादेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिसमें 22 जनवरी 2024 को प्रदेश के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन करने, रामचरित मानस का पाठ करने, सभी शहरों में रथ/कलश यात्रा निकालने का शासनादेश जारी किया गया है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई सूचीबद्ध होने पर ही करेगा।
यह जनहित याचिका ऑल इंडिया लाॅयर्स यूनियन (एआईएलयू), उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ल की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कुल चार लोगों को पक्षकार बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष याचिका पर अविलंब सुनवाई के लिए प्रार्थना की गई। लेकिन, कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की कोर्ट ने इसे अर्जेंट (अति आवश्यक) नहीं मानते हुए सुनवाई से इन्कार कर दिया।याचिका में मुख्य सचिव के शासनादेश को भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्ष चरित्र व अनुच्छेद 25, 26 और 27 के खिलाफ माना है। कहा है कि इसके अनुसार राज्य को किसी भी धार्मिक गतिविधि, आयोजन से निरपेक्ष रहने की अपेक्षा संविधान में की गई है। उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव ने इस संबंध में दिनांक 21 दिसंबर 2023 को शासनादेश जारी किया है। जारी शासनादेश में यूपी के सभी जिलाधिकारियों को 22 जनवरी को भजन-कीर्तन, रामायाण, रामचरित मानस पाठ, रथ और कलश यात्रा निकालने को कहा गया है।