आज 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। क्रिसमस के त्योहार पर प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन प्रेम व सद्भाव के साथ मनाया जाता है। क्रिसमस ईसाई धर्म का एक प्रमुख त्योहारों में से एक है, लेकिन समय के साथ इसे हर धर्म के लोग धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस दिन लोग केक काटकर क्रिसमस को एन्जॉय करते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं। इस त्योहार में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री। क्रिसमस के त्योहार पर लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं। साथ ही इसे रंग-बिरंगी रोशनी और खिलौनों से सजाते भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस के त्योहार पर क्रिसमस ट्री का इतना ज्यादा महत्व क्यों होता है? चलिए जानते हैं इसके बारे में खास बातें …
क्रिसमस ट्री की कहानी
क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक अन्य कहानी 722 ईसवी की है। बताया गया है कि सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई। एक बार जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे। इस बात की जानकारी मिलते ही सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया। इसके बाद उसी ओक ट्री की जड़ के पास से एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया था। फिर लोग इस पेड़ को चमत्कारिक मानने लगे। सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि ये एक पवित्र दैवीय पेड़ है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं। मान्यता है कि तब से लोग हर साल प्रभु यीशु के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे।
इस दिन चर्च में ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है
हर साल 25 दिसंबर को दुनिया भर के चर्चों में यीशु का जन्मदिन मनाया जाता है। ईसाई धर्म को मानने वाले लोग इस दिन चर्च में जाकर बाइबिल पढ़ते हैं और मोमबत्तियां जला कर यीशु का जन्मदिन प्रेम और सद्भावना के साथ मनाते हैं। इस दिन चर्च को अच्छे से सजाया जाता है और इसी के साथ क्रिसमस का पेड़ लगाना भी ईसाई धर्म में शुभ माना गया है।