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बलदाऊ राम की रचनाओं में दिखता है गहरा बाल मनोविज्ञान,हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के बैनर तले आधा दर्जन बाल साहित्य की पुस्तकें विमोचित

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बलदाऊ राम की रचनाओं में दिखता है गहरा बाल मनोविज्ञान

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हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के बैनर तले आधा दर्जन बाल साहित्य की पुस्तकें विमोचित

डॉ.चित्तरंजन कर ने छत्तीसगढ़ी गजलों से बांधा समां

हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के बैनर तले बाल साहित्यकार बलदाऊ राम साहू लिखित आधा दर्जन पुस्तकों का विमोचन वृंदावन हॉल रायपुर में संपन्न हुआ। इस मौके पर अतिथि वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में शसाहू बाल साहित्य की सभी विधाओं में सर्वाधिक लिखने वाले साहित्यकार हैं। बाल मनोविज्ञान की उन्हें गहरी समझ है, ऐसा लगता है कि उनकी रचनाओं के माध्यम से कोई बच्चा ही बोल रहा है। वृंदावन हॉल रायपुर में कुछ पल बलदाऊ राम साहू के संग के तहत आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंगकार गिरीज पंकज ने  कहा कि बलदाऊ राम साहू के बाल साहित्य में लोक जीवन स्पंदित होता है। अध्यक्षता करते हुए ओडिशा के शिक्षाविद व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.महेन्द्र मिश्र ने कहा कि साहू को बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ है। उनका काम लोकधर्मी है, उनकी रचनाशीलता काबिले तारीफ है। विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.रामनारायण पटेल ने कहा कि श्री साहू की रचनाओं में नयापन है। लोकशब्दों का प्रयोग उनकी रचना की खासियत है। वे विविध रस के कवि हैं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ने कहा कि बलदाऊ राम साहू की रचनाएं ऐसी है मानों कोई बच्चा ही अपनी बात कह रहा है। रचनाओं में बाल मानसिकता का सरोकार दिखाई देता है। उनकी बाल रचनाएं बेहद सार्थक एवं सम्यक हैं। विशिष्ट अतिथि बेमेतरा के वरिष्ठ साहित्यकार महेन्द्र वर्मा ने कहा कि श्री साहू इतना अधिक बाल साहित्य लिखने वाले पहले साहित्यकार हैं वे बालमनोविज्ञान को गहराई से समझते हैं इसीलिए इतना अधिक लिखते हैं। बलदाऊ राम साहू की जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ उनमें शामिल -नाच रही है मछली रानी, रतिहा पहागे, चिरई सही उड़े पतंग, लाखन लोटा लाखन थारी, उड़ान व चिंकी के सपना शामिल हैं। यह कृतियां बाल कथाओं, बाल कविताओं, बाल कहानियों पर केन्द्रित हैं। कार्यक्रम में  वरिष्ठ साहित्यकार, संगीतज्ञ व भाषाविद डॉ. चित्तरंजन कर ने बलदाऊ राम साहू की चुनिंदा छत्तीसगढ़ी गजलों को स्वर देकर खूब वाहवाही लूटी। खास बात यह है कि उन्होंने इन गजलों को खुद संगीतबद्ध किया, तबले में संगत कर सोनू विश्वकर्मा ने खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम में बाल चित्रकार कु.स्पृहा वैष्णव, लोक चित्रकार खेम वैष्णव और लतिका वैष्णव का सम्मान किया गया। आभार प्रदर्शन करते हुए बलरदाऊ राम साहू

ने कहा कि डॉ.चित्तरंजन कर की प्रेरणा से वे इतना लेखन कर पाए हैं। बच्चों के बीच लंबे समय तक काम करने के कारण उनके मनोविज्ञान को समझने में मदद मिली। कार्यक्रम का रोचक संचालन किया बेमेतरा के साहित्यकार दिनेश गौतम ने। इस अवसर पर अमरीका में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की खुशबू फैलाने वाली मीनल मिश्र के साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में साहित्यकार, विद्वतजन उपस्थित थे।

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