acn18.com कोरबा/ समय के साथ दूसरों की देखा सखी आज के जमाने के बच्चे जरूर से कहीं ज्यादा एडवांस होने लगे हैं और उनकी आदतें परिवार के लोगों के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। छोटी-छोटी चीज के लिए बच्चों का जिद करना और ऐसे में उन्हें मनाने के लिए ना चाहते हुए भी मोबाइल दे देना, अब समस्या बन रहा है। पालकों की इस सहजता से बच्चों का जिद्दीपन न केवल बढ़ रहा है बल्कि वे मोबाइल पर इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल से गलत दिशा की ओर भी जा सकते हैं।
खाने पीने की चीजे से लेकर खेलकूद के मामले में बच्चों का शौक या उनकी जिद को जायज ठहराया जा सकता है लेकिन वर्तमान में बच्चों की जिद को समाप्त करने के लिए उन्हें यूं ही मोबाइल थमा देना बड़ी समस्या को जन्म दे रहा है। अपने अभिभावकों की इस कमजोर नस को बच्चों ने भली भांति पहचान लिया है और इस चक्कर में उनका जिद्दीपन और भी बढ़ता जा रहा है। हालात ऐसे हो रहे हैं कि अब मोबाइल के बिना बच्चों की जिंदगी अधूरी हो रही है और वह मोबाइल के लिए हर प्रकार के तौर तरीकों पर अमल करने से नहीं चुक रहे हैं। मनोवैज्ञानिक डॉक्टर नीलिमा महापात्र ने इस तरह की स्थिति पर चिंता जताने के साथ कहां की इससे बचने की जरूरत है।
डॉ नीलिमा ने बताया कि जानकारी प्राप्त करने के लिए निश्चित मात्रा में मोबाइल का उपयोग जायज हो सकता है लेकिन इसके बाद की स्थिति में खतरे स्वाभाविक है। संभव है कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे गलत दिशा की ओर बढ़ सकते हैं। इसलिए अगर उनका जिद्दी पर नहीं जाता है तो फिर मनोवैज्ञानिक या मनो चिकित्सक से परामर्श कराया जाना चाहिए।
चिकित्सक बताते हैं कि मोबाइल के अधिक उपयोग करने से स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम होने पर आंख पर जोर,गर्दन और कंधे में दर्द,सिर दर्द,आंखो में सूखापन, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी समस्या सामने आ सकती है। सबसे बड़ा असर आंखो को फोकस पर पड़ता है। क्योंकि इसके बाद आंखे दूसरी चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस नहीं कर पाती हैं। ऐसे में संबंधित लोगों को भविष्य में कितनी परेशानियां उठानी पड़ेगी इसे आसानी से समझा जा सकता है।