acn18.com कोरबा/ दीपावली पर्व से शुरू हुआ सुआ गीत का गायन अब भी जारी है। मुख्य रूप से इसका संबंध लोगों के कल्याण की कामना से जुड़ा हुआ है। एक जैसे ड्रेस कोड में महिलाएं सुआ के प्रतीक को टोकरे में रखने के साथ इसके आसपास गीत गाते हुए सांकेतिक नृत्य के साथ लोगों के सुख समृद्धि और अच्छी फसल की कामना कर रही हैं।
छत्तीसगढ़ के साहित्य में सुआ गीत का जिक्र मुकुटधर पांडेय ने किया है। स्थानीय महिलाएं हल्के हरे या पीले रंग के वस्त्र में खुद को प्रस्तुत करने के साथ सुआ गीत को स्वर दे रही हैं। इस दौरान तोते को माध्यम बनाकर कई प्रकार के संदेश दिए जाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इस प्रकार के नजारे इन दिनों देखने को मिल रहे हैं। घरों और संस्थानों के सामने महिलाओं के समूह को देखना और उनसे सुआ गीत सुनना एक अलग ही अनुभव होता है। इसके एवज में लोग कुछ धन राशि उपलब्ध कराकर उनका प्रोत्साहन करते हैं।
आधुनिकता के द्वारा में और संस्कृति और परंपरा को बचाने के साथ कई प्रकार के बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं । अपनी और लोगों की सहूलियत के लिए अब अनेक सुआ गीत समूह होने धनराशि प्राप्त करने डिजिटल विकल्पों का उपयोग प्रारंभ कर दिया है ताकि शीघ्रता से कामकाज हो सके। अगहन मास की समाप्ति तक सुआ गीत का दौर अंचल में जारी रहेगा।