acn18.com /आज बाबा साहेब अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। भारतीय संविधान के जनक और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। उनकी पुण्यतिथि को उनके अनुयायी महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।
महान समाज सुधारक और संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर
डॉ. अंबेडकर ने जीवन भर दलितों के हित में और वर्गवाद के खिलाफ संघर्ष किया। समाज में दलितों के खिलाफ होने वाले छूआछूत और महिलाओं को लेकर भेदभाव को खत्म करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश के महू में हुआ था और वो अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे। उन्होने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वे एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री, समाजसुधारक, न्यायविद और राजनीतिज्ञ थे।1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ सम्मान प्रदान किया गया।
इसलिए मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस
बाबा साहेब ने बचपन से ही जातिगत भेदभाव देखा था और वो आजीवन इस कुरीती से लड़ते रहे। इसी कारण उन्होने बौद्ध धर्म अपना लिया। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म में प्रज्ञा, करुणा और समता का सिद्धांत है जो एक मनुष्य को सम्मानपूर्वक जीवन जीने की दिशा प्रदान करता है। बौद्ध धर्म में परिनिर्वाण का सिद्धांत माना जाता है जिसके अनुसार भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।
परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’। बाबा साहेब में बुद्ध अनुयायियों का मानना है कि वे अपनेे सुकार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके थे इसलिए हर साल उनकी पुण्यतिथि को वो महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं। आज उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा है कि ‘पूज्य बाबासाहेब भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के साथ-साथ सामाजिक समरसता के अमर पुरोधा थे, जिन्होंने शोषितों और वंचितों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। आज उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें मेरा सादर नमन।’ इसी के साथ देशभर में लोग उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।
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