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कोरबा पहुंचे वन महानिदेशक चंद्रप्रकाश गोयल ,कोल इंडिया और एसईसीएल के सीएमडी ने भी दर्ज कराई मौजूदगी, खदान विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण के संबंध में होगी चर्चा

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acn18.com दीपका/ दुनिया की सबसे बड़ी एसईसीएल की गेवरा खदान का निरिक्षण करने वन महानिदेशक चंद्रप्रकाश गोयल व कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद गुरुवार को कोरबा के गेवरा क्षेत्र पहुंचे। खदानों का निरिक्षण करने से पहले उन्होंने गेवरा जीएम कार्यालय में कुछ देर आराम किया फिर खदानों की ओर निकल गए। इससे पहले उन्होंने मीडिया से चर्चा की। चर्चा के दौरान उन्होंने एसईसीएल की परियोजना की वन क्षेत्रों में हो रहे विस्तारीकरण की स्थिती का जायजा लेने की बात कही वहीं भू-विस्थापितों के विषय पर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा।

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कोरबा जिले में एसईसीएल की खदानों का भविष्य क्या होगा,यहां की खदानों की उम्र कितनी होगी और भविष्य में खदानो का विस्तार कितना होगा इन्हीं कुछ विषयों पर विस्तार से जानकारी लेने और खदानों के लिए भू-अधिग्रहण के विषय पर विभागीय अधिकारियों से चर्चा करने की मंशा से वन महानिदेशक चंद्रप्रकाश गोयल और कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद कोरबा के गेवरा क्षेत्र में पहुंचे। दुनिया की सबसे बड़ी गेवरा खदान का निरिक्षण करने से पहले उन्होंने गेवरा जीएम कार्यालय में कुछ देर आराम किया जिसके बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा की। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया,कि एसईसीएल कोल इंडिया की एक अनुषांगिक कंपनी है जिसकी कई खदाने वन क्षेत्र में संचालित हो रही है। वहीं भविष्य में कई खदानों का विस्तारीकरण किया जाना है जिसकी जद में वन क्षेत्र में आ रही है। पर्यावरणीय स्वीकृति,बसाहट व मुआवजा राशि में अंतर विवाद के कारण जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया लटकी हुई है। जिसका पटाक्षेप करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।

वन महानिदेशक से चर्चा के दौरान हमने भू-विस्थापितों के संबंध में सवाल पूछा। भू-विस्थापित अपने हक के लिए पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा,कि भू-विस्थापितों की समस्या उनके कार्य क्षेत्र की समस्या नहीं है फिर विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर वे इस समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे।

वन महानिदेशक का कोरबा दौरान कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके दौरे से कई परियोजनाओं के लिए लंबित जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जिनमें गेवरा,कुसमुंडा और दीपका परियोजनाएं शामिल है। बहराहल उनके द्वारा खदान का निरिक्षण किया जा रहा है जिसके बाद ही पता चल पाएगा,कि उनके दौरे के क्या परिणाम निकलकर सामने आते हैं।

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