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धनतेरस 2023: कल इस शुभ योग में मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व,जानें खरीदारी,लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, नियम और विधि

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धनतेरस से पंचदिवसीय दीपोत्सव आरम्भ हो जाता है। दिवाली से पहले धनतेरस पर लोग खरीदारी करते हैं ताकि  घर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर का वास ही सके।  इस साल 10 नवंबर को धनतेरस है, इस दिन कुबेर जी की पूजा होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल धनतेरस पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में कुछ राशियों को विशेष लाभ मिल सकता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है। इस दिन सोना-चांदी सहित अन्य चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। इस दिन को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला है इसलिए इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल धनतेरस का दिन काफी खास है, क्योंकि कई ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग करीब 59 साल के बाद बना है। आइए जानते हैं किन शुभ योग में मनाया जाएगा धनतेरस।
धनत्रयोदशी पर बन रहे हैं महासंयोग 
धनत्रयोदशी के साथ शुक्र प्रदोष और विष कुंभ योग का महासंयोग एक साथ हो रहा है। ऐसे में यदि वृषभ लग्न के दौरान कोई काम किया जाए तो उसमें ठहराव आता है। ऐसे में इस समय में सोना, चांदी या किसी भी चीज की खरीदारी करना इस दिन बेहद शुभ और फलदायी साबित होगा। इसके अलावा इस समय में माता लक्ष्मी की पूजा से माता लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहेगी। धनतेरस के दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरि के अलावा माता लक्ष्मी के पूजन का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन खरीदारी का भी विशेष महत्व है।
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त 
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।

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धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 48 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष काल-:  17:30 से 20:08 तक
वृषभ लग्न काल-: 17:48 से 19:44
धनतेरस पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 56 मिनट है।

धनतेरस से जुड़े नियम 

  • धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। यहां उदयव्यापिनी त्रयोदशी से मतलब है कि, अगर त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ शुरू होती है, तो धनतेरस मनाई जानी चाहिए।
  • धन तेरस के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में यमराज को दीपदान भी किया जाता है। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल का स्पर्श करती है अथवा नहीं करती है तो दोनों स्थिति में दीपदान दूसरे दिन किया जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि :
  • मानव जीवन का सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ है, इसलिए आयुर्वेद के देव धन्वंतरि के अवतरण दिवस यानि धन तेरस पर स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए यह त्यौहार मनाया जाना चाहिए।
  • धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है। षोडशोपचार यानि विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना।
  • इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन (सुगंधित पेय जल), स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है।
  • धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है। इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं।
  • इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है।
  • धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
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