Acn18.com/एक ऐसा सिद्ध धाम जहां साल में एक ही बार होते हैं माता के दर्शनपूरे साल इंतजार करने के बाद भक्तों को मिलती है मां की झलक। जी हां साल में एक बार ही खुलती है मां लिंगेश्वरी की चौखट। भाद्र महीने की नवमीं तिथि के बाद आने बुधवार को 24 घंटे लिए मां का दरबार खुलता है। लिंगेश्वरी देवी को मां लिंगाई के नाम से भी पुकारा जाता है। मां के दर्शन को यहां भक्तों की विशाल भीड़ देखने को मिलती है। हजारों की संख्या में अपने परिवार के साथ भक्त मां के श्रीचरणों में अपना शीश नवाने और अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं।
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कपाट खुलने पर होता है मां का श्रृंगार
बस्तर का एक छोटा सा गांव आलोर झांटीबन, जहां की पहाड़ियों पर बनी एक गुफा में विराजमान हैं मां लिंगेश्वरी माता। गुफा के अंदर मां लिंगेश्वरी शिवलिंग के आकार में विराजमान है। हर साल कपाट खुलने के वक्त मां लिंगाई का श्रृंगार किया जाता है। जिसके बाद छग सहित आस-पास के प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं को मां के दर्शन मिलते हैं।
जीव-जंतु के पदचिन्हों के निशान पर होती है साल की गणना
माना जात है कि माता लिंगेश्वरी की ये चौखट बेहद चमत्कारी है। यहां कपाट खुलने के बाद पूरे साल की होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणियां होती हैं। सबसे अचंभे की बात ये कि साल भर कपाट बंद रहने के बाद जब मां के कपाट खुलते हैं तो अंदर कई जीव जंतुओं के पद चिन्हों के निशान मिलते हैं जिन्हें देखकर आने वाले साल की गणना की जाती है। अनुमान लगाया जाता है कि यह साल कैसा रहेगा। जैसे कमल फूल के निशान दिखाई देने पर धन संपत्ति वृद्धि, हाथी पांव के निशान दिखने पर परिपूर्ण धनधान्य, घोड़े के खुर के निशान मिले तो युद्ध और कला, बिल्ली के पैर के निशान मिले तो भय, बाघ के पैर के निशान मिले तो जंगली जानवरों का आतंक और मुर्गी के पैर के निशान दिखाई दे तो अकाल का प्रतीक माना जाता है।
माता लिंगेश्वरी के प्रति भक्तों की अगाध आस्था है। मां के दर्शन को इतना लंबा इंतजार करना और फिर उसके बाद मां के दर पर आना मां के प्रति भक्तों की भक्ति को दर्शाता है। मान्यता है कि मां के दर पर इस दिन मांगी गई कोई भी मुराद पूरी होती है। मां लिंगेश्वरी सबका कल्याण करती है। सबके दुखों को हर सुख-संपन्नता का वरदान देती है।