Acn18.com/सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम पवनी में धूमधाम से भोजली विसर्जन किया गया। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार भोजली मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये त्योहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन के तौर पर माना जाता है।
गुरुवार को बिलाईगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत पवनी में भोजली तिहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। 10 दिनों तक गांव की महिलाओं और युवतियों ने भोजली सेवा के बाद गुरुवार को भोजली विसर्जित किया। इसके लिए राधाकृष्ण मंदिर चौक पर कार्यक्रम रखा गया। भोजली विसर्जन में भारी संख्या में महिलाएं और युवतियां शामिल हुईं।
कार्यक्रम में बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए इनाम भी रखा गया। इसमें प्रथम पुरस्कार डांडिया समिति सड़क पारा, दूसरा पुरस्कार शारदा महिला समूह लोहारपारा और तीसरा पुरस्कार कर्मा समिति सदरपारा को दिया गया। इसके बाद सिर पर भोजली रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गई। इसमें गांववाले भोजली गीत गाते हुए गाजे-बाजे के साथ गली-मोहल्ले होते हुए नदी तक पहुंचे। यहां उन्होंने भोजली को विसर्जित किया।
बता दें कि 10 दिन पहले भोजली की बुआई की जाती है। हर रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता है। इस दौरान देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद रक्षाबंधन के दूसरे दिन इसका विसर्जन किया जाता है।
इस मौके पर ग्राम पंचायत पवनी के सरपंच महेंद्र श्रीवास ने कहा कि मित्रता और आदर का प्रतीक भोजली तिहार छत्तीसगढ़ का पारंपरिक तिहार है। उन्होंने कहा कि भोजली तिहार आने वाली अच्छी फसल का प्रतीक भी है। उन्होंने सभी के लिए सुख-शांति और हरियाली की कामना की। छत्तीसगढ़ में भोजली का त्योहार पारंपरिक रूप से गीत गाकर मनाया जाता है। पंचायत के द्वारा महिलाओं में उत्साह बढ़ाने के लिए इनाम भी दिया जाता है।
छत्तीसगढ़ में भोजली त्योहार कब मनाया जाता है?
छत्तीसगढ़ का यह लोकपर्व रक्षाबंधन के दूसरे दिन यानी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। भोजली को सावन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को घर में टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर बोया जाता है और 7 दिनों तक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर खूब सेवा की जाती है।