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महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) से जुड़कर युवा बन रहे है उद्यमी

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Acn18.com/रायपुर, राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) से जुड़कर युवा उद्यमी बनने का सफर तय कर रहे है। जांजगीर चांपा जिले में स्थापित रीपा में फेब्रिकेशन कारोबार करने वाले लखन कश्यप की कहानी भी कुछ ऐसी है।

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नवागढ़ ब्लाक के ग्राम पचेड़ा में प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) से जुड़े और मजदूर से मालिक बन गये। अब वह फेब्रिकेशन वर्क को करते हुए एक सफल उद्यमी बनने का सफर तय कर रहे हैं। जहां पर रीपा के माध्यम से कंस्ट्रक्शन एंड एग्रो फेब्रिकेशन यूनिट का निर्माण किया गया। इस यूनिट के बनने के बाद से पचेड़ा के रहने वाले लखन कश्यप जुड़ गए। वह बताते हैं कि फेब्रिकेशन का कार्य गांव में बहुत पहले से कर रहे थे, लेकिन कार्य को करते हुए उतनी आमदनी नहीं हो रही थी, या यूं कहें कि गुजर-बसर ही चल रहा था। अपने कार्य में दक्ष होने के बाद भी अपना कुछ भी नहीं था, दूसरों की मजदूरी करके, घर-घर जाकर एक मजदूर के रूप में ही काम मिलता था, मन में ऊंचे ख्वाब देखने का बहुत शौक रहा कि एक दिन अपना खुद का बड़ा व्यवसाय हो लेकिन इतनी आमदनी नहीं थी कि कुछ बड़ा कर सकूं। ऐसे में हम जैसी सोच रखने वाले युवाओं के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रीपा योजना लेकर आए। इस योजना में पचेड़ा गौठान में शासन की तरफ से समुचित स्थान के साथ वर्क शेड, अत्याधुनिक मशीनें, बिजली, पानी व अन्य समस्त आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई, वह कहते हैं कि इन सुविधाओं के साथ ही अब वह अपने काम को गति देने एवं कच्चे सामान इत्यादि के लिए बड़ी आसानी से लोन ले सकते हैं। आज वह रीपा से मिली सुविधाओं का लाभ लेकर दिन दूनी रात चौगनी मेहनत करते हुए दिन प्रतिदिन सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।

हाथ ठेला बनाने में है महारथ

लखन कश्यप बताते हैं कि रीपा से जुड़ने के बाद बहुत काम मिल रहा है। वह भवन निर्माण कार्य से संबंधित समस्त लोहे की सामग्री का निर्माण करते हैं, इसके अलावा कृषि उपकरण भी बनाते हैं, उन्हें हाथ ठेला बनाने में महारथ हासिल है, इसके चलते ही आसपास के दुकानदार उनके पास हाथ ठेला का निर्माण कराने पहुंचते हैं। वह खिड़की, दरवाजे, रौशनदान, रैलिंग, मेनगेट एवं महाराजा गेट आदि का निर्माण करते हैं, इसके अलावा केज व्हील, नांगर, पलाऊ एवं कोपर भी बनाते हैं। उन्होंने बताया कि यह सब इसलिए संभव हो सका क्योंकि रीपा ने उनका साथ दिया, नहीं तो इतनी बड़ी रकम लगाकर अपना स्वयं का व्यवसाय कर पाना संभव नहीं था, आज गांव के दूसरे युवाओं को भी वह इस रोजगार से जोड़ रहे हैं, उनके साथ चार से पांच युवा काम कर रहे हैं और अपने व परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर पा रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने फेब्रिकेशन का कार्य करते हुए 4 लाख 28 हजार रूपये का विक्रय किया है, जिससे उन्हें 1 लाख 7 हजार रूपए का मुनाफा हुआ। अब उन्हें फेब्रिकेशन का कार्य पचेड़ा गांव के अलावा दूसरे गांव से भी मिलने लगा। अब वह भविष्य को और अधिक सुनहरा बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, उन्होंने ट्रेक्टर ट्रॉली, पानी टैंकर और कांक्रीट मिक्सचर मशीन निर्माण के काम को सीखने की तैयारी करने का विचार किया है, इस क्षेत्र में बेहतर प्रशिक्षण लेकर वह इस कार्य को भी शुरू करेंगे।

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