Acn18.com/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूल में बच्चे अव्यवस्था के बीच पढ़ने को मजबूर हैं। जिले के शासकीय प्राथमिक शाला मसूरीखार में छत की हालत इतनी जर्जर है कि इसमें से बरसात का पानी टपक रहा है। इससे बचने के लिए शिक्षकों ने छत को प्लास्टिक से ढंक दिया है।
मसूरीखार के शासकीय प्राथमिक शाला में बच्चे प्लास्टिक के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। ऊपर से जर्जर छत के कभी भी नीचे गिरने का खतरा भी मंडरा रहा है। इधर जर्जर भवन की जानकारी पिछले 2 सालों से प्रशासन को भी है, लेकिन आज तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया गया है। पालकों का आरोप है कि प्रशासन शायद किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है।
गांववालों का कहना है कि स्कूल खुलने के बाद धूमधाम से शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया, लेकिन मानसून की पहली ही बारिश में यहां की अव्यवस्था की पोल खुल गई। छत से पानी टपक रहे स्कूल में पन्नी लगाकर जान जोखिम में डालकर बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं।
जिले में करीब 3 करोड़ से अधिक की लागत से जर्जर सरकारी स्कूल भवनों की मरम्मत गर्मी की छुट्टी में करवाए जाने का दावा किया गया था, जो अब फेल होता दिखाई दे रहा है। जिला खनिज न्यास निधि से स्कूलों की कराई गई मरम्मत में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका है। मसूरीखार सहित जिले के कई स्कूल आज भी काफी जर्जर हालत में हैं और बच्चों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
स्कूल के हेड मास्टर उमेद सिंह श्याम ने कहा कि कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक समस्या हल नहीं हुई है। कभी भी कोई हादसा हो सकता है। वहीं DEO एन के चंद्रा ने कहा कि अभी तक शासन की ओर से राशि जारी नहीं हुई है, जैसे ही राशि जारी होगी, प्राथमिकता से स्कूल की मरम्मत कराई जाएगी।
बालोद के स्कूल में भी अव्यवस्था, पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं
इधर बालोद जिले के ग्राम खुर्सीपार के शासकीय प्राथमिक शाला का पालकों और बच्चों ने बहिष्कार कर दिया। स्कूल में केवल शिक्षक ही बैठे नजर आए। सरपंच रोहित कुमार ठाकुर ने बताया कि हम लंबे समय से शिक्षक की मांग कर रहे हैं। 74 बच्चों के लिए यहां पर केवल 2 शिक्षक हैं। सरपंच ने बताया कि जब तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो जाती, तब तक बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे। आपको बता दें कि मंगलवार को भी स्कूल में सन्नाटा पसरा रहा और टेबल-कुर्सियां खाली रहीं।