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दलितों को सिर पर जूते-चप्पल रखकर चलवाते हैं दबंग:फरमान नहीं माना तो हाथ-पैर तोड़े; महिला का बच्चा छीनकर फेंक दिया

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Acn18.com/मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड, छतरपुर जिले का महाराजपुर गांव, जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में दबंगों का फरमान चलता है। उनके घरों के सामने से दलितों को निकलने के लिए ये फरमान मानना जरूरी है। दबंगों के घर के सामने से कोई भी दलित जूते-चप्पल पहनकर नहीं निकल सकता है। यदि दलित को यहां से निकलना है तो जूते-चप्पल उतारकर हाथ में लेकर निकलना होगा। ऐसा नहीं किया तो मार खानी पड़ेगी। वह भी बेहोश होने तक। इतना ही नहीं, सिर पर जूते-चप्पल रखकर चलना भी पड़ेगा। जूते-चप्पल तक तो ठीक, घर के सामने से बाइक लेकर निकल गए तो भी मार खानी होती है।

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गांव में यह फरमान सदियों पुराना है। समय के साथ ज्यादातर लोग इस कुरीति से दूर हो रहे हैं, लेकिन कई लोग आज भी दलित परिवारों पर जुल्म करना नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला छतरपुर एसपी के पास पहुंचा है। गांव का लखन प्रजापति दबंगों के जुल्म का शिकार हुआ है।

ससुर के साथ एसपी ऑफिस पहुंची लखन की पत्नी ने कहा- पति और बेटे के साथ रिश्तेदार के यहां शादी में जा रही थी। गांव के दबंग के घर के सामने से जूते-चप्पल पहनकर बाइक निकाली तो उन्होंने रोक लिया। हम कुछ सफाई देते इसके पहले ही उन्होंने लट्ठ बरसाना शुरू कर दिया। दबंगों ने मेरे पति को इतना पीटा कि उनका तीन जगह से पैर टूट गया। उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। अभी वे छतरपुर जिला अस्पताल में भर्ती हैं। दबंगों ने मुझे भी पीटा। मारपीट में मेरे 1 साल के बेटे को फेंक दिया, जिससे उसे भी चोट आई। महिला के आवेदन पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

मामला सामने आने पर पीड़ित परिवार से बात की। उन्होंने आपबीती में कहा- पीढ़ियों से दबंगों की प्रताड़ना झेल रहे हैं। उनके घर के सामने से हम नंगे पैर ही निकलते हैं। जूते-चप्पल होने पर हाथ में उठा लेते हैं। बाइक से निकलते हैं तो उसे बंद कर घर के सामने से धकाते हुए लेकर जाते हैं। यह सब सहना हमारी मजबूरी है…

दबंग बोले- तुझे गांव में रहने का नियम मालूम नहीं क्या…

छतरपुर के जुझार नगर थाना क्षेत्र के गांव महाराजपुर में 22 जून को एक घटना हुई। शाम करीब 4 बजे लखन प्रजापति घर से पत्नी अनीता और एक साल के बेटे को लेकर बाइक से निकला। वह रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने जा रहा था। बाइक पर सवार होकर वे घर से करीब आधा किमी दूर पहुंचे ही थे कि रास्ते में गांव का दबंग संजय सिंह ठाकुर मिल गया। उसके हाथ में लठ्‌ठ था। लखन को बाइक पर देखकर उसने उसे लट्‌ठ दिखाते हुए रुकने को कहा।

बाइक के रुकते ही संजय ने गालियां देते हुए कहा- तू बाइक से कहां जा रहा है। तुझे गांव का कानून नहीं पता है क्या, तुझे यह नहीं पता कि गांव में कैसे रहा जाता है। लखन ने संजय को गाली देने से मना किया तो वह आगबबूला हो गया।

लखन ने उससे कहा- मैं अपने एक रिश्तेदार के घर शादी में जा रहा हूं। संजय ने लखन की पूरी बात भी नहीं सुनी और लट्‌ठ को उसके सिर पर दे मारा। अचानक हुए हमले से लखन बाइक समेत नीचे गिर गया। उसकी पत्नी और बेटे भी जमीन पर जा गिरे। अनीता उठी और सबसे पहले उसने बेटे को संभाला। उधर, लखन के गिरते ही संजय ने उसे लट्‌ठ से पीटना शुरू कर दिया। मारपीट में लखन लहूलुहान हो गया। उसके सिर से खून बहने लगा। गोद में बेटे को लिए अनीता उसे बचाने दौड़ी। उसने संजय से पति को छोड़ देने को कहा, लेकिन वह नहीं माना। इस पर अनीता ने उसे पीछे धकेलना चाहा तो संजय ने उसे भी पीटना शुरू कर दिया। उसने बेटे को अनीता से छीनकर नीचे फेंक दिया। करीब आधे घंटे उसने मारपीट की। यहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने लखन के परिजन को सूचना दी, जिसके बाद वे उसे बचाने दौड़े।

भीड़ को आता देख संजय सिंह वहां से यह कहते हुए चला गया कि अब आगे से ध्यान रखना। गांव में रहना है तो कभी हमारे घरों के सामने से बाइक पर निकलने की गुस्ताखी नहीं करना। पैदल भी निकलो तो पैरों के जूते-चप्पल सिर पर होने चाहिए। परिजन ने दोनों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरिहार पहुंचाया, जहां से लखन की हालत गंभीर होने पर उसे प्राथमिक उपचार के बाद छतरपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

मुझे लात मारी, बेटे को छीनकर फेंक दिया

पीड़ित अनीता प्रजापति का कहना है कि मैंने पति को बचाने की कोशिश की तो संजय ने मुझे लातें मारी। मेरे एक साल के बेटे को छीनकर फेंक दिया। मारपीट में पति लखन गंभीर रूप से घायल हैं, उनके सिर में कई टांके आए हैं। एक पैर भी टूट गया है। अभी वे जिला अस्पताल में भर्ती हैं।

सिर पर जूते रखकर निकलने का कहा- लखन

जिला अस्पताल में भर्ती लखन ने बताया कि गांव में पंचायत चुनाव की इस बार सामान्य सीट थी। चुनाव में संजय का बड़ा भाई बलवंत सिंह मैदान में था। उसे छोटेलाल प्रजापति की पत्नी सुनीता प्रजापति ने चुनाव हरा दिया। इसके बाद इनकी प्रताड़ना ज्यादा बढ़ गई। संजय तो आए दिन किसी न किसी को पीटता है। हाल ही में चार से पांच लोगों को पीट चुका है।

घायल लखन के पिता रामस्नेही प्रजापति ने 29 जून को एसपी अमित सांघी को आवेदन सौंपा, जिसमें उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया और कहा पुलिस ने अब तक कार्रवाई नहीं की है। जबकि आरोपी जान से मारने की धमकी दे रहा है।

22 जून 2023 को मेरा बेटा लखन प्रजापति और बहू अनीता रिश्तेदार के यहां चितहरी जा रहे थे, तभी गांव महाराजपुर के बाहर अपने घर के सामने संजय सिंह, तनय सिंह और राजेंद्र सिंह ने उनकी बाइक को रोक लिया। उन्होंने मेरी बहू और बेटे को अपशब्द कहते हुए कहा कि कहां जा रहे हो। मेरे बेटे ने जवाब दिया कि हम रिश्तेदार के यहां निमंत्रण पर जा रहे हैं। तुम मुझे अपशब्द क्यों कह रहे हो। यह सुनते ही संजय सिंह आगबबूला हो गया। उसने मेरे बेटे पर लाठी से हमलाकर दिया। इस दौरान उसने बेटे के पास रखे 40 हजार रुपए भी छीन लिए। उन्होंने मेरी बहू और मासूम पोते से भी मारपीट की।

मारपीट से घायल हुए मेरे बेटे के सिर में गंभीर चोट लगी है। उसे 16 टांके आए हैं। उसकी कमर, हाथ और पीठ में भी गंभीर चोट है। इस घटना के तुरंत बाद मैं अपने बेटे को लेकर जुझारनगर थाने पहुंचा। इसके बावजूद हमारी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। वहां कहा गया कि पहले उपचार कराओ। इसके बाद रिपोर्ट लिख लेंगे। फिर थाने से एक आरक्षक हमारे साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरिहार पहुंचे, जहां प्राथमिक उपचार के बाद हमें शासकीय चिकित्सालय छतरपुर रेफर कर दिया। घटना के बाद संजय ने कहा कि अगर रिपोर्ट दर्ज कराने जाओगे तो तुम्हें जान से खत्म कर दूंगा। यह व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति का है। वह रुपए पैसों से भी संपन्न है। इस वजह से गांव के गुंडागर्दी करता रहता है।

मेरे बेटे के हाथ-पैर तोड़ दिए, पैर तो 3 जगह से तोड़ा है

मारपीट में घायल लखन के पिता ने पुलिस कार्रवाई नहीं होने से डरे हुए हैं। उनका कहना है कि गांव में रहना है, ऐसे में अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करती है तो दबंग फिर मारपीट करेंगे। वे ठाकुर लोग हैं। यह सब पहले भी होता था, लेकिन गांव में जब से चुनाव हुए बहुत परेशान कर रहे हैं।

गांव के छोटेलाल प्रजापति ने बताया कि सरपंच पद के लिए सामान्य सीट आई थी। एससी-एसटी वर्ग के लोगों की यहां बहुतायत संख्या है। समाजजनों ने तय किया कि अबकी बार ग्राम पंचायत सरपंच पद के लिए चुनाव समाज से ही किसी को लड़ाया जाए। इसके बाद मेरी पत्नी को चुनाव लड़ाया गया। वह चुनाव जीत गई। इसके बाद से गांव के दबंगों ने छोटी-छोटी बात पर मारपीट करना शुरू कर दिया। वे वाहन से निकलने पर गालियां देते हैं।

हाल ही में बुंदेलखंड में आए ऐसे तीन मामले

बुंदेलखंड में सामाजिक भेदभाव की खबरें आम हैं। यहां ऊंची जाति के लोगों द्वारा अक्सर दलितों के साथ मारपीट के मामले सामने आते रहते हैं। इलाके के गांवों में कई अघोषित नियम हैं। यहां घरों से निकलने से लेकर रहने तक के कायदे चलन में हैं।

पहला मामला : ताजा मामला सागर जिले से सामने आया था। यहां के खुरई के पथरियाचिटाई ग्राम पंचायत में एक दलित समाज के युवक को सिर्फ इसलिए पीट दिया था कि उसने मंदिर के सामने भगवान के जयकारे लगा दिए थे। बाद में सामने आया कि इस गांव में छोटी जाति के लोग यहां स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर ही नहीं जाते। दलित और बहुजन समाज के लोगों का कहना है कि वे अपनी इच्छा से मंदिर नहीं जाना चाहते। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पिता, दादा और उनके पूर्वज भी कभी मंदिर नहीं गए। जबकि गांव में रहने वाले दूसरे समाज के लोग रोजाना मंदिर जाते हैं।

दूसरा मामला: यह मामला छतरपुर के बकस्वाहा थाना क्षेत्र का चौरई गांव। यहां 5 जून को दलित दूल्हे को घोड़ी पर सवार देख गांव के दबंग नाराज हो गए। ​​​​​उन्होंने ​​दूल्हे की रास पर पथराव कर दिया। रास में 40-50 बाराती थे। पथराव में 3 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। पुलिस ने 50 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसमें 20 आरोपी नामजद हैं।

तीसरा मामला: तीसरा मामला छतरपुर जिले के बिजावर थाना क्षेत्र का है। जहां 29 जून को ग्राम भरगुवां के निवासी कांशीराम अहिरवार ने बिजावर थाने में एक आवेदन दिया। जिसमें कहा कि मेरे बेटे लच्छी अहिरवार की शादी है। जिसकी गांव में रास फिराकर बारात बड़ामलहरा के ग्राम घिनौची जानी है। अत: ग्राम में दूल्हें की रास घोड़े पर बैठकर फिराने में परेशानी आने और विरोध होने की आशंका के चलते पुलिस सुरक्षा हेतु आवेदन दिया है।

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