Acn18.com/पाकिस्तान ने अपने सबसे बड़े कराची पोर्ट को लेकर UAE के साथ एक कंसेशन एग्रीमेंट साइन किया है। पाकिस्तान सरकार ने बिजली की रफ्तार से महज 4 दिनों में ये डील फाइनल की। ये डील 50 साल के लिए हुई है। इसके तहत UAE की दो कंपनियां 1.8 हजार करोड़ रुपए निवेश करेंगी। माना जा रहा है कि इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए पाकिस्तान की ये एक कवायद है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे पाकिस्तान ने अपने सबसे बड़े कराची पोर्ट को बेचने का फैसला क्यों किया, डिफॉल्टर होने से बचने के लिए पाक क्या-क्या कर रहा है…
सबसे पहले जानते हैं कराची पोर्ट डील की कहानी…
2022 में UAE ने कराची पोर्ट खरीदने का प्रस्ताव पाकिस्तान इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल को भेजा था। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने इस समझौते को लागू करने के लिए वाणिज्यिक लेनदेन अधिनियम कानून में बदलाव किए।
देश को डिफॉल्टर होने से बचाने के लिए ऐसा किया गया। इस कानून के जरिए अब सरकार तेजी से सरकारी संपत्तियों को बेच सकती है। जून 2023 में इमरजेंसी फंट जुटाने के लिए पाकिस्तान ने इसी कानून का सहारा लिया है। इसके जरिए पाकिस्तान सरकार ने महज 4 दिनों में कराची पोर्ट UAE को बेचने का समझौता कर लिया। 19 जून को पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार के नेतृत्व में एक कैबिनेट कमेटी बनी।
इसे कराची पोर्ट बेचने की योजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई। कमेटी बनने के कुछ ही देर बाद इसकी पहली बैठक हुई। इसमें डील को फौरन अंजाम देने के लिए अधिकारियों का एक पैनल बनाया गया। समुद्री मामलों के मंत्री फैसल सब्जवारी इस पैनल के प्रमुख बने।
पैनल ने पोर्ट के ऑपरेशन, मेंटनेंस, इंवेस्टमेंट और डेवलपमेंट आदि को लेकर एक डील पेपर तैयार किया। मंगलवार और बुधवार को दिन भर बैठकों का दौर चलता रहा। आखिरकार गुरुवार को इस सौदे के पेपर पर UAE की अबू धाबी पोर्ट कंपनी और कराची पोर्ट टर्मिनल के अधिकारियों ने दस्तखत किए।
कराची पोर्ट से 60% एक्सपोर्ट-इंपोर्ट फिर इसे क्यों बेच रहा पाकिस्तान?
कराची पोर्ट साउथ एशिया के सबसे बड़े पोर्ट में से एक है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और बिजी पोर्ट भी है। ये बंदरगाह करीब साढ़े 11 किलोमीटर लंबा है। यहां कुल 33 बर्थ हैं, जिसमें 30 ड्राई कार्गो और 3 लिक्विड कार्गो बर्थ हैं। बर्थ का मतलब उस प्लेटफॉर्म से है, जहां जहाज को खड़ा किया जाता है।
पाकिस्तान के कुल एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में करीब 60% हिस्सेदारी कराची पोर्ट की है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने इस पोर्ट को बेचने का फैसला दो वजहों से किया है…
1. 16 जून 2023 को पाकिस्तान के रिजर्व बैंक के पास कुल विदेशी मुद्रा भंडार 3.5 बिलियन डॉलर यानी साढ़े 28 हजार करोड़ रुपए हो गया। इतने पैसे में मुश्किल से 2 सप्ताह के लिए विदेश से सामान खरीदा जा सकता है।
2. पाकिस्तान अपनी कमजोर इकोनॉमी को संभालने के लिए विदेशी निवेश को हर हाल में बढ़ाना चाहता है। इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए उसने इस डील की प्रक्रिया को तेजी से अंजाम तक पहुंचाया है।
डिफॉल्टर होने से बचने के लिए पाकिस्तान और क्या कर रहा है?
पाकिस्तान सरकार ने बीते 6 महीने में इकोनॉमिक क्राइसिस से निपटने के लिए 4 अहम फैसले लिए हैं…
1. कॉस्ट कटिंग: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने मंत्रियों और सलाहकारों को बिजनेस क्लास की बजाय इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने को कहा गया है। लग्जरी कारों के इस्तेमाल से बचने की भी सलाह दी है।
साथ ही कहा गया है कि अपने वेतन का कुछ हिस्सा सरकारी खजाने में जमा कराएं। अगर ऐसा करते हैं तो सालाना 20 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। इतना ही नहीं सरकारी कार्यालयों के खर्च में 15% की कटौती करने का निर्देश दिया गया है। सेना को नॉन-कॉम्बेट यानी लड़ाई के अलावा अन्य खर्चों में कटौती के लिए कहा गया है।
2. आम लोगों पर टैक्स बढ़ाया: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने मिनी-बजट को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कार, इलेक्ट्रॉनिक सामान, चॉकलेट और लग्जरी सामानों के आयात पर टैक्स 17% से बढ़ाकर 25% किया गया है। बिजनेस क्लास हवाई यात्रा, विवाह हॉल, मोबाइल फोन और धूप के चश्मे जैसे कई दूसरे सामान और सेवाओं पर टैक्स बढ़ाया गया है।
पेट्रोल-डीजल पर भी टैक्स बढ़ाया गया है। दरअसल, IMF की शर्तों के तहत पाकिस्तान सरकार ने ये फैसला लिया है। शहबाज सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से IMF पहली किस्त में पाकिस्तान को 6.5 अरब डॉलर यानी 53 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देगा।
3. चीन पर निर्भरता बढ़ाई है: फरवरी 2023 के पहले ही सप्ताह में पाकिस्तान को 5.75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चीन से मिला था। चीन डेवलपमेंट बैंक के जरिए मिले इस कर्ज से पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 20% की वृद्धि हो गई थी।
इससे पाकिस्तान उस स्थिति में पहुंच गया कि वह IMF के साथ कर्ज लेने के लिए समझौता कर सके। पाकिस्तान को कर्ज देने के मामले में चीन पहले नंबर पर है। पाकिस्तान ने विदेशी संस्थाओं से कुल जितना कर्ज लिया है, उस कर्ज में 30% हिस्सा अकेले चीन का है।
4. पाकिस्तान ने ईरान से बढ़ाई दोस्ती: पाकिस्तान ने अपने इस बुरे दौर में ईरान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। ईरान के अधिकारी हसन नूरैन ने बताया है कि पाकिस्तान और ईरान की सीमा पर 6 बॉर्डर मार्केट बनाए गए हैं। उम्मीद है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की इकोनॉमी और व्यापार इससे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2023 तक दोनों देशों का ट्रेड 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है। इस ट्रेड को जल्द हम 41 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाना चाहते हैं।
IMF की 3 नई शर्तें क्या हैं, जिसके लिए पाकिस्तान ये सब कुछ कर रहा है…
31 जनवरी 2023 को नाथन पोर्टर के नेतृत्व में IMF की एक टीम पाकिस्तान पहुंची थी। पाकिस्तान सरकार के वित्त मंत्री इशाक डार के साथ इस टीम की दो चरणों में बैठक हुई थी। इसके बाद 9 फरवरी को ये टीम पाकिस्तान से वापस लौट गई। IMF ने बेलआउट पैकेज के तहत पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर यानी 49 हजार करोड़ रुपए कर्ज देने के लिए 3 शर्तें रखीं…
1. IMF ने कहा था कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी। ऐसे में पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपए वसूलने की सलाह दी गई थी।
2. दूसरी शर्त ये थी कि पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए सामानों के निर्यात पर टैक्स में छूट दे। इसके बाद देश में तैयार माल दूसरे देशों में जाएगा, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
3. एक शर्त ये भी थी कि पाकिस्तान के पास किसी भी हाल में विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सऊदी अरब, चीन और UAE से मदद मांगने के लिए दबाव बनाया गया था।