बेड़ियों में युवक:दिमागी हालत ठीक नहीं, बुजुर्ग माता-पिता के पास इलाज के लिए पैसे नहीं, हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर रखने को मजबूर

Acn18.com/कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड के ग्राम भेजा में 30 साल के बेटे को माता-पिता हाथ और पैर में बेड़ियां लगाकर रखने को मजबूर हैं। माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा मानसिक रूप से कमजोर है, उनके पास उसका इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं हैं। मामला भानुप्रतापपुर थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के मुताबिक, ग्राम भेजा में 30 वर्षीय रूप सिंह तेता अपने माता-पिता के साथ रहता है। 21-22 साल की उम्र तक उसकी दिमागी हालत ठीक थी, लेकिन उसके बाद वो असामान्य हरकतें करने लगा, गांव-घर में उत्पात मचाने लगा। उससे लोग परेशान हो गए। इसके बाद उसकी बूढ़ी मां सगरो बाई और पिता ने उसके हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर रखनी शुरू कर दीं। दोनों बूढ़े माता-पिता किसी तरह मजदूरी कर अपना और अपने मानसिक रूप से बीमार बेटे का भरण-पोषण कर रहे हैं।

मां सगरो बाई का कहना है कि उसका छोटा बेटा सानू राम भी उन्हें छोड़कर जा चुका है। 13 साल की उम्र में बोर गाड़ी में काम करने का कहकर घर से निकला, तो वापस लौटा ही नहीं। उसे गए हुए भी 10 साल हो चुके हैं। इधर बड़े बेटे रूप सिंह की हालत भी 8-9 साल पहले बिगड़ने लगी थी। धीरे-धीरे उसकी समस्या बढ़ती चली गई और हाथ-पैर में बेड़ी डालकर रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बेड़ियां खोलते ही वो उत्पात मचाना शुरू कर देता है। मजबूर माता-पिता ने कहा कि इस उम्र में जब वे खुद शारीरिक रूप से कमजोर हो गए हैं, तब मजदूरी करके बेटे का भी ख्याल रखना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।

बुजुर्ग माता-पिता ने कहा कि बेटे का इलाज कुछ दिन उन्होंने करवाया, लेकिन पैसे खत्म हो गए, तो इलाज बंद हो गया। अब उनके पास बेटे का इलाज करवाने के पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 2 बेटियां भी हैं, जिनकी शादी वे कर चुके हैं और बेटे के इलाज में बाकी बची जमापूंजी भी निकल गई।

जिला प्रशासन से नहीं मिला सहयोग

बुजुर्ग माता-पिता ने कहा कि जिला प्रशासन से भी उन्हें बेटे के इलाज में कोई सहयोग नहीं मिला। वैसे तो मानसिक रोगियों के लिए शासन-प्रशासन की ओर से कई योजनाएं संचालित हैं, लेकिन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते रूप सिंह और उसके परिवार को कोई सहायता नहीं मिल पाई है। गरीब माता-पिता को शासन की योजनाओं की अधिक जानकारी नहीं है, जिसका लाभ वे उठा सकें। ऊपर से कोई मदद करने के लिए भी परिवार में नहीं है।