मणिपुर में पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों के जॉइंट ऑपरेशन में रविवार तक हिंसा के आरोपी 40 आतंकी मारे गए। न्यूज एजेंसी ANI ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हवाले से बताया कि कई हथियारबंद आतंकियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। ये विद्रोही आम नागरिकों के खिलाफ M-16 और AK-47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने रविवार तड़के दो बजे इंफाल घाटी और इसके आसपास के 5 इलाकों सेकमाई, सुगनू, कुम्बी, फायेंग और सेरौ में हमला किया। CM ने दावा किया कि ये आम लोगों पर हमला कर रहे हैं। इसके बाद सुरक्षाबलों की अब तक की कार्रवाई में 40 आतंकी मारे गए। कई और इलाकों में गोलीबारी और सड़कों पर लावारिस लाशें पड़े होने की खबरें आ रही हैं।
राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने यहां सेना और अर्धसैनिक बलों को लगाया है। इसके अलावा राज्य में 31 मई तक इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया है। कई जिलों में तो कर्फ्यू अभी भी जारी है। गृह मंत्री अमित शाह 29 मई से राज्य के तीन दिन के दौरे पर रहेंगे।
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी
मणिपुर में 3 मई से कूकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच आरक्षण को लेकर जातीय हिंसा चल रही है। हिंसक घटनाओं में अब तक 75 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसके अलावा सैकड़ों घरों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। 40 हजार से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं।
अमित शाह कल मणिपुर जाएंगे
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय गुरुवार से और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे शनिवार से संकटग्रस्त मणिपुर का दौरा कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह भी सोमवार से 3 दिन के दौरे पर मणिपुर जाएंगे। वे कूकी और मैतेई समुदाय के संगठनों से मिलेंगे।
पुलिस ने RAF के तीन जवानों को गिरफ्तार किया
मणिपुर पुलिस ने शनिवार को राज्य में तैनात रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के तीन जवानों को गिरफ्तार किया था। जवानों पर इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक मीट की दुकान में आग लगाने का प्रयास करने का आरोप है। गृह मंत्रालय ने बताया कि RAF के सोमदेव आर्य, कुलदीप सिंह और प्रदीप कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
पुलिस के मुताबिक, तीनों शुक्रवार रात को सादे कपड़े पहनकर एक कार में बैठकर इलाके में आए थे। उन्होंने एक नागा आदिवासी बिजनेसमैन की मीट की दुकान में आग लगाने की कोशिश की थी। स्थानीय लोगों के विरोध करने पर वे वहां से भाग गए थे। घटना को लेकर हुए हंगामे का CCTV फुटेज पुलिस के पास है। जिसकी मदद से पोरोमपत पुलिस ने तीनों जवानों को गिरफ्तार कर लिया है।
हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी गई
दरअसल, हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच केस की सुनवाई कर रही है। बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट में पेंडिंग रिजर्वेशन के मुद्दे में नहीं जाएंगे। कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।
कोर्ट में मामले में राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि हिंसा के बाद क्या सुरक्षा मुहैया कराई गई? क्या रिलीफ दिया गया और पुनर्वास के बारे में बताइए? जिस पर छुट्टियों के बाद सुनवाई होगी।
4 पॉइंट्स में जानिए, पूरा विवाद…
मणिपुर में आधी आबादी मैतेई समुदाय की
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं।
मैतेई समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
नगा-कुकी जनजाति आरक्षण के विरोध में
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा
मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है, लेकिन पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।