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Parliament Security: आसमान से जमीन तक सुरक्षा, एंटी ड्रोन-मिसाइल सिस्टम भी लगे; परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा

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नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम वाले कैमरे लगाए गए हैं। इनकी मदद से संदिग्ध गतिविधि को रोकने में मदद मिलती है। अपडेट सीसीटीवी सिस्टम, 360 डिग्री पर काम करता है। खास बात है कि अगर कोई व्यक्ति कैमरे के घूमने की विपरित दिशा से संसद भवन परिसर में घुसने का प्रयास करता है तो भी वह पकड़ा जाएगा।

आसमान से जमीन तक 24 घंटे ‘बाज’ की नजर से नए संसद भवन की सुरक्षा होगी। इसके लिए खास उपकरण लगाए गए हैं। संसद भवन में एंटी ड्रोन और एंटी मिसाइल सिस्टम लगा है। इसके अलावा संसद परिसर के भीतर किसी भी वाहन को ड्रोन की मदद से टारगेट नहीं किया जा सकेगा। सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद अब पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी), एनएसजी, आईबी, आईटीबीपी और पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस व दिल्ली पुलिस की संख्या में इजाफा किया गया है। बड़ी बात ये है कि नया संसद भवन, पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के उपकरणों से लैस है। अगर कोई भी संदिग्ध गतिविधि होती है तो चंद सेकेंड में उसका पता चल जाएगा।

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थर्मल इमेजिंग सिस्टम से लैस है नया संसद भवन
नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम वाले कैमरे लगाए गए हैं। इनकी मदद से संदिग्ध गतिविधि को रोकने में मदद मिलती है। अपडेट सीसीटीवी सिस्टम, 360 डिग्री पर काम करता है। खास बात है कि अगर कोई व्यक्ति कैमरे के घूमने की विपरित दिशा से संसद भवन परिसर में घुसने का प्रयास करता है तो भी वह पकड़ा जाएगा। एक कैमरा जब विपरित दिशा में घूमता है तो उसी वक्त सेकेंड और थर्ड कैमरा, पहले वाले कैमरे की दिशा में आ जाता है। संसद भवन परिसर में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं, जो सांसदों को उनकी गाड़ी में बैठने के बाद भी महफूज रखते हैं। मतलब, संसद परिसर में उनकी गाड़ी पर ड्रोन आदि से कोई हमला नहीं हो सकेगा।
थर्मल इमेजिंग सिस्टम से लैस है नया संसद भवन
नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम वाले कैमरे लगाए गए हैं। इनकी मदद से संदिग्ध गतिविधि को रोकने में मदद मिलती है। अपडेट सीसीटीवी सिस्टम, 360 डिग्री पर काम करता है। खास बात है कि अगर कोई व्यक्ति कैमरे के घूमने की विपरित दिशा से संसद भवन परिसर में घुसने का प्रयास करता है तो भी वह पकड़ा जाएगा। एक कैमरा जब विपरित दिशा में घूमता है तो उसी वक्त सेकेंड और थर्ड कैमरा, पहले वाले कैमरे की दिशा में आ जाता है। संसद भवन परिसर में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं, जो सांसदों को उनकी गाड़ी में बैठने के बाद भी महफूज रखते हैं। मतलब, संसद परिसर में उनकी गाड़ी पर ड्रोन आदि से कोई हमला नहीं हो सकेगा।

सर्विलांस सिस्टम के साथ छेड़छाड़ का तुरंत पता चलेगा 
सूत्रों के मुताबिक, संसद भवन में ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी लगे हैं, जिनकी मदद से सर्विलांस सिस्टम के साथ कोई छेड़छाड़ होती है तो उसका तुरंत पता लग जाएगा। संसद भवन परिसर के किस सेक्शन में यह छेड़छाड़ हुई है, उस कंट्रोल पैनल की जानकारी सेंट्रल सर्वर पर आ जाती है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस प्रणाली में उन सभी बातों का ध्यान रखा गया है, जिनका इस्तेमाल कर शत्रु राष्ट्र या आतंकी समूह, किसी हमले की प्लानिंग करते हैं। संसद भवन में एनएसजी के शार्पशूटर 24 घंटे तैनात रहेंगे। इसके अलावा पीडीजी, जो सीआरपीएफ का एक समूह है, उसकी संख्या बढ़ाई गई है। संसद भवन परिसर के आसपास की सुरक्षा दिल्ली पुलिस के शार्पशूटर और स्वैट कमांडो को दी गई है।

हवाई हमले से बचने के लिए डबल प्रोटेक्शन गीयर
सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, चूंकि नए संसद भवन की सुरक्षा के लिए जो एंटी ड्रोन और एंटी मिसाइल सिस्टम लगाया गया है, उसकी पूर्ण जानकारी देना ठीक नहीं है। हम नहीं चाहते हैं कि शत्रु राष्ट्र या आतंकी समूहों तक वह सूचना पहुंचे। इसे गोपनीय रखा गया है। इतना ही कहा जा सकता है कि नया संसद भवन बेहद सुरक्षित है। किसी भी हवाई हमले से बचने के लिए डबल प्रोटेक्शन गीयर मौजूद रहेंगे। ड्रोन है तो उसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से और शूटर द्वारा भी गिराया जा सकता है। आप केवल इतना समझ लें कि ऐसी कोई वस्तु संसद भवन के करीब ही नहीं आ सकती। उसे बीच रास्ते में ही मार गिराया जाएगा।

सिक्योरिटी को लेकर एक कॉमन सेंटर स्थापित
नए संसद भवन की सिक्योरिटी को लेकर एक कॉमन सेंटर रहेगा। इसके साथ पीडीजी, आईटीबीपी, खुफिया ब्यूरो, विशेष सुरक्षा समूह, एनएसजी व दिल्ली पुलिस की इकाई जुड़ी होगी। अगर संसद परिसर में कहीं भी कोई अप्रिय अलर्ट मिलता है तो उसकी सूचना उक्त सभी एजेंसियों के पास पहुंचेगी। फेस रिकग्निशन अलर्ट भी उक्त एजेंसियों के साथ साझा होगा। पीडीजी के जवानों की संख्या लगभग 17 सौ रखी गई है। पीडीजी में सीआरपीएफ के युवा अफसरों को तैनात किया गया है। इस सेवा में आने के लिए सहायक कमांडेंट की आयु 38 वर्ष से कम होनी चाहिए। पीडीजी, संसद भवन परिसर की संपूर्ण सुरक्षा करता है। इसके जवानों को न केवल आतंकी हमले से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया है, बल्कि ये किसी प्राकृतिक आपदा से भी पार पाने में भी एक्सपर्ट हैं। अगर संसद परिसर की बात करें तो अब यहां पर करीब सात सौ सीसीटीवी कैमर हो गए हैं। ये इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी सिस्टम पर काम करते हैं। यानी इन पर 24 घंटे नजर रखने की जरुरत नहीं है। यह सिस्टम किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दे देगा। कई जगहों पर वाहन स्कैनर लगाए गए हैं।
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