Acn18.com/कोरबा शहर में सिटी बस का परिचालन एक बार फिर से बंद हो गया है। सवारी बिठाने को लेकर जिस तरह से आॅटो चालकों ने सिटी बस के कर्मचारियों के साथ मारपीट की थी उससे आक्रोशित सिटी बस के चालकों ने काम करने से मना कर दिया है। सिटी बस के कर्मियों ने सुरक्षा देने की स्थिती में काम करने की बात कही है। इधर बस का परिचाल बंद होने से उपनगरीय क्षेत्रों से कोरबा आने वाले लोगों को जेब ढीली होने लगी है। वहीं आॅटो संघ और सिटी बस संचालनकर्ता की अपनी अलग ही दलीलें हैं।
कोरोना संक्रमण की वजह से कोरबा शहर में सिटी बस का परिचालन दो साल तक बंद रहा। प्रशासन और जनप्रतिनिधीयो के अथक प्रयास के बाद ठेका पद्धती से सिटी बस को दुबारा सड़कों पर उतारा गया लेकिन आम जनता के हित में अवागमन की रियायत सुविधा आॅटो चालकों को रास नहीं आया और उनके द्वारा सिटी बस कर्मियों के साथ मारपीट कर दुबारा बसों के पहियों को थाम दिया। रेलवे स्टेशन में सवारी बिठाने को लेकर जिस तरह से आॅटो चालकों ने सिटी बस के कर्मचारियों के साथ मारपीट की उससे आक्रोशित होकर सिटी बस के चालकों ने बसों को बस स्टैंड में खड़ी कर दिया है और पुलिस द्वारा सुरक्षा देने की स्थिती में ही काम करने की बात कह रहे है। बसों का परिचालन ठप्प होने से उपनगरीय क्षेत्रों से कोरबा आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बस के बंद होने से सबसे अधिक छात्र वर्ग प्रभावित हो रहा है। उनका कहना है,कि दीपका से कोरबा का सफर पहले 50 रुपए में पूरा हो जाता था लेकिन अब उन्हें आॅटो में सफर करने पर कई गुना अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है। आॅटो चालक मनमाना रकम वसूलते हैं,दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण मजबूरी में उन्हें अधिक रकम खर्च कर सफर करना पड़ता है।
आॅटो चालकों की मनमानी को लेकर जब हमने जिला आॅटो संघ से बात की तब उन्होंने बताया,कि सिटी बस के समय और स्टाॅपेज से उन्हें परेशानी है। सिटी बस के ठेकेदार घंटो घंटो तक स्टेशन में बसों को खड़ी करके रखते और जहां मन आया वहां बस रोक देते हैं जिससे आॅटो चालकों को सवारी नहीं मिल पा रही है। सिटी बस का परिचालन जिस तरह से बंद हुआ है उसका जिम्मेदार संघ प्रशासन को मान रहा है।
महिंद्रा ट्रेवल्स को सिटी बस का परिचालन करने का ठेका दिया गया हैं। जिसके संचालन कर्ता का कहना है,कि आम जनता के हित में सिटी बस की सुविधा लोगों के लिए अवागमन का सस्ता साधन है जहां लोगों से दस से बीस रुपए किराया लिया जाता हैं। सिटी बस के कारण आॅटो चालकों की मनमानी पूरी तरह से समाप्त हो गई है यही वजह है,कि बस चालकों से मारपीट कर उनके द्वारा आम जनता से अवागमन का सस्ता साधन छीन लिया गया है।
कोरबा शहर में जबसे सिटी बस का संचालन शुरु हुआ है तब से आॅटो चालक और निजी बस मालिकों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। किसी न किसी बात को लेकर उनके द्वारा विवाद की स्थिती निर्मित की जाती है और जनता से अवागमन का सस्ता साधन छीन लिया जाता है। बहरहाल देखने वाली बात होगी,कि आॅटो चालकों और सिटी बस का विवाद कब समाप्त होता है और कब आम जनता को राहत मिल पाती है।