Acn18.com/कर्नाटक में सरकार बनने का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। कुरुबा कम्युनिटी से आने वाले सिद्धारमैया को CM बनाया जा सकता है। उनके अंडर में तीन डिप्टी CM हो सकते हैं। ये तीनों अलग-अलग कम्युनिटी के होंगे। इनमें वोक्कालिगा कम्युनिटी से आने वाले डीके शिवकुमार, लिंगायत कम्युनिटी से आने वाले एमबी पाटिल और नायक/वाल्मिकी समुदाय के सतीश जारकीहोली शामिल हैं।
कर्नाटक में कुरुबा आबादी 7%, लिंगायत 16%, वोक्कालिगा 14%, SC/ST करीब 27% हैं, यानी कांग्रेस इस फैसले से 64% आबादी को साधना चाहती है।
हालांकि कांग्रेस संगठन से जुड़े लोगों ने डीके शिवकुमार की ऑर्गेनाइजेशनल स्किल को देखते हुए उन्हें CM बनाने की वकालत की है। ये तर्क दिया जा रहा है कि सिद्धारमैया विपक्ष के नेता और CM दोनों ही रह चुके हैं। उनकी उम्र भी ज्यादा है, इसलिए डीके शिवकुमार को CM बनाया जाना चाहिए।
टॉप सोर्सेज के मुताबिक, आज रात तक CM का नाम तय होने की उम्मीद है। उन्होंने ये भी कहा कि पब्लिक ओपिनियन डीके शिवकुमार के पक्ष में है, ज्यादातर विधायकों का सपोर्ट सिद्धारमैया के साथ है।
सिद्धारमैया और डीके दोनों को दिल्ली बुलाया
हाईकमान ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सहित इन दोनों गुटों से जुड़े कुछ विधायकों को दिल्ली बुलाया है। हाईकमान की पूरी प्लानिंग लोकसभा चुनाव को देखते हुए है। अभी कर्नाटक में लोकसभा की 28 में से सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का सांसद है, जो डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश हैं।
अब बड़े मार्जिन से मिली जीत के बाद कांग्रेस चाहती है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 28 में से कम से कम 20 सीटें पार्टी के खाते में आएं। इसलिए अभी सरकार अलग-अलग कम्युनिटी के वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए बनाने की कोशिश है।
3 साल बाद डीके सीएम बन सकते हैं
कांग्रेस से जुड़े एक सीनियर लीडर के मुताबिक, सरकार के 5 साल के कार्यकाल में तीन साल सिद्धारमैया और आखिरी के दो साल डीके शिवकुमार को CM बनाया जा सकता है। सिद्धारमैया कुरुबा कम्युनिटी से आते हैं और पिछड़ी जातियों के बीच उनकी मजबूत पकड़ है।
कांग्रेस इसी का फायदा लोकसभा चुनाव में उठाना चाहती है। वहीं, डीके शिवकुमार को डिप्टी CM बनाकर वोक्कालिगा और एमबी पाटिल के जरिए लिंगायतों को साधने की तैयारी है। लिंगायत के प्रमुख मठ से जुड़े महंत भी कह चुके हैं कि कांग्रेस को लिंगायत कम्युनिटी से एक डिप्टी CM जरूर बनाना चाहिए।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि विधायक दल की बैठक में डीके शिवकुमार ने दो CM के फॉर्मूले से असहमति जताई। उनका कहना है कि हम दूसरे राज्यों में देख चुके हैं कि ये फॉर्मूला काम नहीं करता।
करप्शन के आरोपों की वजह से डीके पिछड़े
करप्शन के केस होने की वजह से कांग्रेस डीके शिवकुमार को CM बनाने से हिचकिचा रही है। केंद्र सरकार ने जिन प्रवीण सूद को CBI का नया डायरेक्टर बनाया है, वे अब तक कर्नाटक पुलिस के DGP थे। उनकी और डीके शिवकुमार की बिल्कुल नहीं पटती। डीके ने उन्हें नालायक तक कह दिया था। कहा था कि सरकार में आने के बाद उन पर कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे में यदि डीके को CM बनाया जाता है तो करप्शन का मामला हाईलाइट होगा। ऐसा होने पर कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। सिद्धारमैया को CM पद की रेस में इसलिए भी आगे बताया जा रहा है, क्योंकि उनकी पकड़ पिछड़ों के साथ ही दलित और मुसलमानों में भी है। राज्य के हर तबके में उनका प्रभाव है। डीके शिवकुमार ओल्ड मैसूरु रीजन में ही पॉपुलर हैं, बाकी जगह उनकी पकड़ सिद्धारमैया के मुकाबले थोड़ी कम है।
चुनाव से पहले डीके की याचिका खारिज हुई
डीके शिवकुमार के खिलाफ 2019 में जांच शुरू हुई थी। तब राज्य में BJP की सरकार थी और बीएस येदियुरप्पा CM थे। राज्य सरकार की सिफारिश के बाद उनके खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था।
डीके ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने जांच के आदेश को गलत बताया था, लेकिन चुनाव से कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इस बार उन्होंने चुनावी हलफनामे में खुद की संपत्ति 1,413 करोड़ रुपए बताई है। 2018 में उनकी संपत्ति 840 करोड़ रुपए थी।
पार्टी के ऑब्जर्वर्स दिल्ली लौटे, मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट देंगे
सोर्स के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को स्पेशल फ्लाइट से दिल्ली बुलाया है। कांग्रेस की तरफ से नियुक्त किए गए तीन सेंट्रल ऑब्जर्वर रिपोर्ट लेकर दिल्ली लौट चुके हैं। ऑब्जर्वर्स ने सभी विधायकों से उनकी राय ली।
इसकी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक पहुंचा दी गई है। खड़गे ने महाराष्ट्र के पूर्व CM सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जितेंद्र सिंह और पूर्व जनरल सेक्रेटरी दीपक बाबरिया को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था। इनके साथ में AICC जनरल सेक्रेटरी और कर्नाटक के इंचार्ज रणदीप सिंह सुरजेवाला भी थे। ऑब्जर्वर्स ने हर एक विधायक से अलग-अलग रायशुमारी की।