Acn18.com/शैक्षणिक संस्थानों को बेहतर स्थिति में करने पर लगातार जोर दिया जाता रहा है और इस दिशा में काम भी करने की जरूरत बताई गई है। इन सबके बावजूद खरमोरा वार्ड स्थित मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल की बाउंड्री वाल 7 वर्ष बीतने के बाद भी नहीं बन सकी हैं। इसके कारण आसपास के जीव जंतुओं की सीधी पहुंच स्कूल परिसर में हो रही है और दूसरी तरफ बेजा कब्जा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। चिंता जताई जा रही है कि अगर जल्द ही कामकाज नहीं किए जाते हैं तो आगे परेशानियां हो सकती हैं।
भाजपा शासनकाल में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने के लिए विद्यालय खोले गए थे। सरकार ने अपने शिक्षकों के जरिए इस काम को आगे बढ़ाने का काम किया था लेकिन कई प्रकार की दिक्कत है जिसके बाद डीएवी स्कूल प्रबंधन से समझौता किया गया और उस की ओर से स्कूल संचालित किए गए। जिनकी पहचान मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल के नाम से हो रही है। नगर निगम कोरबा क्षेत्र के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 33 खरगौरा में ऐसा ही शैक्षणिक संस्थान संचालित हो रहा है जहां पर लंबे समय से समस्याएं बनी हुई है। बताया गया कि इस परिसर को सुरक्षित करने के इरादे से 7 वर्ष पहले एक योजना के अंतर्गत बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था। उम्मीद की गई थी कि जल्द ही इस काम को पूरा कर लिया जाएगा लेकिन लंबी अवधि बीतने के बाद भी काम का अता पता नहीं है। बाउंड्री वॉल ना होने के कारण जहरीले जीव-जंतु कभी भी भीतर घुस आते हैं और ऐसे में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही अनिष्ट होने की आशंका बनी रहती है।
जिला जेल के नजदीक संचालित हो रहे मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल का क्षेत्र एक तरह से खुला हुआ है और इसका भरपूर फायदा बेजा कब्जा करने वाले लोग उठा रहे हैं। कई तरफ से अवैध निर्माण आसपास में किया जा रहा है और एक तरह से अतिक्रमण करने को लेकर लोगों में होड़ मची हुई है। जानकारी देने के बाद भी ऐसी कोशिशों को हतोत्साहित करने के लिए अब तक कोई काम नहीं हो सका है।
शिक्षण संस्थान के शिक्षकों से लेकर यहां के विद्यार्थी मौजूदा समस्याओं के चलते बेहद परेशान हैं । सवाल उठाए जा रहा है कि जब किसी भी कार्य के लिए धन की कमी नहीं है और लगातार विभिन्न कार्यों के लिए लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है तो आखिर मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल की बाउंड्री वाल का निर्माण कराए जाने में समस्या क्या है। यह भी कहां जा रहा है कि स्कूल परिसर के आसपास लगातार हो रहे अवैध कब्जे की जानकारी क्या अधिकारियों को नहीं है। जो कुछ नजर आ रहा है उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि पूरे मामले को अनदेखा किया जा रहा है ताकि बेजा कब्जा करने वाले लोगों को भरपूर मौका मिल सके।