Acn18.com/“मेरी 5 बेटी हो चुकी थी, लेकिन मैं एक बेटा चाहती थी। इसलिए 500 से ज्यादा बार मंदिर गई और मन्नतें मांगी। 22 साल की तपस्या के बाद छठा बच्चा बेटा हुआ। लेकिन, वो जालिम निकला। उसने अपने पिता को बेरहमी से मार डाला। वो मुझे भी पीटता है और गंदी नजरों से देखता है। मैं सहती रही, पर अब नहीं। उसे फांसी पर लटका दो। अगर जेल से बाहर आया तो वो मुझे भी मार डालेगा।”
झांसी में रोंगटे खड़े कर देने वाला ये बयान उस मां का है, जिसके इकलौते बेटे आशीष ने अपने पिता गोपाल की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। मां शकुंतला का कहना है कि उस रात अगर मैं घर पर होती तो बेरहम बेटे पति के साथ मुझे भी मार देता।
इधर, रविवार को पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाया। इसमें सामने आया कि बेरहमी से पिटाई होने से गोपाल के सीने की पसलियां टूट गई। साथ ही सीने में कई हमले से उनका फेफड़ा फट गया था। इससे उनकी जान चली गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अंदरूनी चोट को उनकी मौत की वजह बताया गया है।
क्षेत्र का कोई मंदिर नहीं…जहां जाकर बेटे की मन्नत न मांगी हो
मृतक गोपाल अहिरवार (55) कोतवाली थाना क्षेत्र के छनियापुरा में रहते थे। उनकी पत्नी शकुंतला बताती हैं कि क्षेत्र का ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जहां जाकर बेटा होने की मन्नत न मांगी हो। 22 साल बाद बेटा हुआ। हमने उसका नाम आशीष रखा। सोचते थे कि वो हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वो हम दोनों को बहुत बुरी तरह पीटता था। मेरा कभी मुंह दबा देता था तो कभी गला। 2023 में मेरा सिर भी फोड़ दिया था। अब तो वो जालिम बन चुका था। वो गंदी हरकतें करने लगा था। मुझे गंदी-गंदी गालियां देता था और बुरी नजर से देखता था। हम लाेग बहुत सालों से उसे भुगत रहे थे। पुलिस के पास गए तो सुनवाई नहीं हुई।
मैं पूड़ी बेलने जाती थी, तब घर चलता था
शकुंतला ने आगे बताया कि बेटा अपने शौक पूरे करने के लिए काम करता था। घर पर वो एक पैसा नहीं देता था। पति गोपाल पहले ऑटो चलाते थे, मगर उनको लकवा मार गया। इसलिए उनको सात सालों से चलने में दिक्कत थी। मजबूरी में मुझे घर से मजदूरी पर जाना पड़ा। मैं शादी-समारोह में पूड़ी बेलकर घर चलाती थी।
मगर, सोमवार को मैं गिर गई और मेरे हाथ में फ्रैक्चर हो गया। बेटी रजनी मुझे देखने आई। इसके बाद गुरुवार को बेटी मुझे अपने साथ ससुराल तालबेहट ले गई। दो दिन बाद ही खबर आ गई कि आशीष ने अपने पिता को मार डाला।
शकुंतला बोलीं- पति की वजह से जी रही थी
शकुंतला ने आगे बताया कि अब बेटे को जेल में कैद करके रखा जाए। उसे उम्रकैद हो या फांसी पर लटकाया जाए। मुझे ऐसा बेटा नहीं चाहिए, जिसने अपने पिता को ही मार डाला। मैं कोर्ट में भी उसके खिलाफ गवाही दूंगी। मेरा पति चला गया। मैं अपने पति की वजह से जी रही थी। किसी का कोई सहारा नहीं था।
किसी हाल में बेटे को जेल से न छोड़ा जाए। अगर वो जेल से बाहर आ गया तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा। अगर मैं उस रात घर पर होती तो पति के साथ बेटे मुझे भी मार देता।
बेटी बोली- पिता को ले जाना चाहती थी, मगर वो गए नहीं
गोपाल की हत्या की सूचना पर बेटी रजनी भी अपनी ससुराल से झांसी पहुंच गई। रजनी का कहना है कि एक जुलाई को मां का हाथ टूट गया था। काम करने के लिए मैंने अपनी बेटी को भेज दिया था। अगले दिन मैं भी मां को देखने आई तो वो काम करने में लाचार थी। तब मैं उनको साथ ले जाने लगी।
मैं मां के साथ पिता को भी ले जाना चाहती थी, मगर पिता ने मना कर दिया। मेरे आग्रह पर पिता ने कहा था कि मैं नहीं जा रहा। तुम मां को ले जाओ, मुझे पड़ोसी खाना दे देंगे। तब मैं मां को लेकर चली गई। दो दिन बाद सूचना आ गई कि भाई ने पिता को मार डाला। इसे उम्रकैद या फांसी की सजा होनी चाहिए।
एक बेटी की हो चुकी है मौत
शकुंतला की 5 बेटी निर्मल, रजनी, प्रभा, चांदनी और प्रियंका थीं। इन पांचों की शादी हो चुकी थी, लेकिन करीब 16 साल पहले तीसरे नंबर की बेटी प्रभा की आग लगने से मौत हो गई थी। सबसे छोटा बेटा आशीष है।